विपन्न परिवारों के युवाओं की तकदीर संवारने के उद्देश्य से शुरू की गई राज्य सरकार द्वारा संचालित अनुप्रति योजना प्रतिभावान युवक-युवतियों के लिए वरदान सिद्ध हो रही है। गरीब परिवारों के युवाओं के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की यह प्रोत्साहन योजना उन्हें संबल दे रही है। अनुप्रति योजना के तहत प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए वसुंधरा सरकार की ओर से प्रोत्साहन स्वरूप उपलब्ध कराई जाने वाली आर्थिक सहायता का लाभ पाकर गरीब परिवारों के युवा अपने सुनहरे भविष्य को पाने में सफल हो रहे हैं। राजस्थान के भीलवाड़ा जिलान्तर्गत माण्डलगढ़ तहसील मुख्यालय पर जालेश्वर महादेव मन्दिर के पास रहने वाले अनुसूचित जाति वर्ग के महावीर प्रसाद जीनगर (39) की कहानी भी एक ऐसे ही युवा की कहानी है जिसकी जिंदगी अनुप्रति योजना ने बदल कर रख दी है।
महावीर अपनी जुबानी बताते हैं कि वह एक अत्यन्त निर्धन परिवार से हैं और उनके पिता का निधन 21 साल पहले हो चुका है। ऎसे में परिवार चलाने की जिम्मेदारी उनकी माता पर आ गई। उनकी माता गांव में घूम-घूम कर कपड़े बेचकर परिवार का गुजारा करती आई हैं। परिवार को सहारा देने के लिए महावीर ने भी गांव के ही एक निजी स्कूल में 3500 रुपए मासिक पगार पर नौकरी की है लेकिन अनुप्रति योजना की सहायता से 2013 में दी गई तृतीय श्रेणी शिक्षक की भर्ती परीक्षा में सफल रहने पर उन्हें तृतीय श्रेणी शिक्षक की नौकरी मिल गई। अब वह करेड़ा के पास खेड़ी माता गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत है और फस्र्ट ग्रेड शिक्षक की तैयारी में जुटे हुए हैं।
महावीर प्रसाद बताता है कि अनुप्रति योजना में उन्हें सरकार की ओर से प्राप्त 25 हजार रुपए की आर्थिक सहायता राशि ने बहुत बड़ा सहारा दिया। इससे उन्हें प्रतियोगी परीक्षा से संबंधित किताबें लाने में सहूलियत रही और वहीं जयपुर से कोचिंग करने में भी मदद मिली। इसी तरह से उसने बीए और एमए (राजनीति विज्ञान) में पढ़ाई है। उसने भीलवाड़ा में अपनी बहन के घर रहकर प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी की है।
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