राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को बजट सत्र की हंगामेदार शुरुआत हुई। राजस्थान की 15वीं विधानसभा सत्र में इस बार मीडिया पर पाबंदी लगाई गई है। पांबदी लगाने के बाद बजट सत्र के दौरान मीडियाकर्मी अब न मंत्री से मिल पाएंगे और न ही विपक्ष के किसी नेता से सवाल पूछ सकेंगे। विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के निर्देश पर मीडियाकर्मियों को सिर्फ पत्रकार दीर्घा तक सीमित रखा गया है। जबकि बीते कई वर्षों से पत्रकारों की बजट सत्र के दौरान हां पक्ष और ना पक्ष लॉबी तथा नेता प्रतिपक्ष, मुख्य सचेतक और मंत्रियों से मिलने की परिपाटी चलती आ रही है। लेकिन अब नए निर्देशों के बाद पत्रकार मंत्री और नेता प्रतिपक्ष सहित किसी नेता से नहीं मिल सकते हैं।

मीडिया पर पाबंदी के विरोध में सत्र के पहले दिन नाराज पत्रकारों ने रोष प्रकट किया। विधानसभा अध्यक्ष के चैंबर के बाहर सभी पत्रकार एकत्रित होकर धरने पर बैठ गए और विरोध-प्रदर्शन कर इस नियम को हटाने की मांग रखी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस संबंध में सीपी जोशी से चर्चा की है। गौरतलब है कि ये पहली दफा है जब किसी सरकार के समय मीडिया के खिलाफ इस तरह का आदेश जारी करते हुए अंकुश लगाया गया हो। वर्तमान में प्रमुखता से चल रहे मुद्दों पर नेताओं की राय जानने के लिए उनसे मिलना व चर्चा कर उनकी राय जानना पत्रकार के लिए बेहद आवश्यक होता है। इन बातों को दरकिनार कर विधानसभा में अजीबोगरीब नियम निकाल दिए गए हैं जिसका मीडिया जगत विरोध कर रहा हैं। पत्रकारों के विरोध को देखते हुए जल्द ही राजस्थान विधानसभा से मीडिया पर पाबंदी के आदेश वापस लिए जाने की भी संभावना है।