राज्यभर में अब स्टैंडर्ड एजुकेशन के लिए एक ही कोर्स होगा। प्रदेश के कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में पढ़ने वाले 10 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स कें लिए एक-समान कोर्स व सिलेबस लागू किया जाएगा। इस दिशा में सरकार ने काम शुरू कर दिया है। इससे स्टूडेंट्स की शिक्षा और स्तर एक-समान हो सकेगा। इसके लिए उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने उच्च शिक्षा के एमसीएम राजहंस उपाध्याय को एक्जामिन करने की जिम्मेदारी दी है। माहेश्वरी ने कहा कि हायर एजुकेशन में स्टैंडर्ड के लिए इस काम की शुरुआत की है। इन सब बातों के लिए एसीएस को जिम्मा दिया गया है ताकि वे हर पहलू को एक्जामिन करा लें। इसे कैसे लागू कराया जाएगा? इसके लिए विभाग के लोग खाका तैयार करने में जुट गए हैं। राज्य के 33 जिले 11 से ज्यादा सरकारी यूनिवर्सिटीज के क्षेत्राधिकार में बंटे हुए हैं। इन सभी यूनिवर्सिटीज का स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर का पाठ्यक्रम कुछ हद तक भिन्न है। डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स तक के सिलेबस अलग-अलग है। ऐसे में लंबे समय से कोर्सेज व सिलेबस को एक-समान करने की बात की जा रही थी।
अब तक कोर्स सिलेबस का निर्धारण ऐसे होता था: प्रत्येक यूनिवर्सिटी में सब्जेक्ट वाइज बोर्ड आॅफ स्टडीज की एक कमेटी होती है। ये कमेटी ही कोर्स और सिलेबस का निर्धारण करती है। ऐसे में कई बार वर्षों तक कोर्स और सिलेबस में कोई अपडेटेशन नहीं होते हैं। इस मामले में राज्यपाल कल्याण सिंह कई मर्तबा वाइस चांसलर कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठकों में वीसी और राज्य सरकार के अधिकारियों के सामने आपत्ति जता चुके हैं।
स्टैंडर्ड एजुकेशन के ये होंगे फायदे:
- एजुकेशन के स्तर पर राज्य का कोई कॉलेज या यूनिवर्सिटी छोटा बड़ा नहीं रह जाएगा।
- सरकार या प्राइवेट सेक्टर की नजर में राज्य के किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी से पासआउट स्टूडेंट समान ही होगा।
- इससे एजुकेशन क्वालिटी में सुधार होगा और हर जगह राजस्थान की डिग्रियों की साख बढ़ेगी।
- प्रदेशभर के पब्लिशर स्टैंडर्ड प्रोफेसर्स की किताब छाप सकेंगे।
- बोर्ड आॅफ स्टडीज व पब्लिशरों की मिलीभगत पर भी असर पड़ेगा।