जयपुर। राजस्थान में पहले गोवंश में लंपी फिर घोडों में ग्लैंडर्स रोग की वजह से लाखों पशुओं की अकाल मौत हुई थी। अभी यह मामला ठंडा नहीं पड़ा और अब और अब अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने प्रदेश में दस्तक दे दी है। अब सूअर प्रजाति के लिए जानलेवा माना जाने वाला अफ्रीकन स्वाइन फीवर रोग तेजी से पैर पसार रहा है। पंजाब के रास्ते से अफ्रीकन स्वाइन फ्लू ने राजस्थान में दस्तक दे दी है।

तेजी से पैर पसार रही है अफ्रीकन स्वाइन फीवर
अब यह तेजी से पूरे राजस्थान में अपने पैर पसारने लगा है। पंजाब से निकलने के बाद अफ्रीकन स्वाइन फ्लू पूर्वी राजस्थान के जिलों में तेजी से फैलता जा रहा है। अफ्रीकन स्वाइन फ्लू ने पंजाब सीमा पार कर सबसे पहले अलवर में एंट्री की।

छह जिलों में मिला संक्रमण
अलवर के बाद सवाई माधोपुर, जयपुर के जोबनेर, भरतपुर, कोटा, करौली और जयपुर के रेनवाल में इस रोग की पुष्टि हो चुकी है। सूअर प्रजाति में तेजी से पैर पसारते इस रोग ने सवाई माधोपुर जिले में तबाही मचा दी है।

अफ्रीकन स्वाइन वायरस से हजारों सूअरों की मौत
सवाई माधोपुर जिले के अलनपुर क्षेत्र में 2966 पशुओं में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू नामक बीमारी हुई। सभी 2966 पशुओं की इस महा बीमारी से दर्दनाक मौत हो गई। कोटा के सांगोद इलाके में 680 सूअरों में इस रोग की पुष्टि हुई है। वहां अब तक इस रोग के कारण 444 से ज्यादा सूअरों की मौत हो चुकी है। जयपुर के जोबनेर में इस रोग से संक्रमित 66 पशुओं में से 60 की मौत हो चुकी है।

सूअर के मांस और अन्य उत्पादों की बिक्री पर रोक
भरतपुर जिले में 177 पशु इस रोग से संक्रमित मिल चुके है। इनमें से 70 की मौत हो चुकी है। करौली जिले में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू से पॉजिटिव मिले 50 पशुओं में से 10 की मौत हुई है। वहीं अलवर जिले में 82 संक्रमित पशुओं में से 60 पशुओं की मौत हो चुकी है। लगातार तेजी से पैर पसारते अफ्रीकन स्वाइन फ्लू के कारण पशुपालन विभाग ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है। राजस्थान के अधिकांश जिलों में सूअरों के परिवहन के साथ साथ उसके मांस व अन्य उत्पादों की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।

विभाग ने गठित की रैपिड रिस्पॉन्स टीम
बीमारी की गंभीरता को देखते हुए पशुपालन विभाग ने रैपिड रिस्पॉन्स टीम का गठन किया है। टीम रोग प्रभावित जिलों में जाकर प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर शूकर वंशीय पशुओं के सैम्पल एकत्र कर रही है। साथ ही पशुपालकों को रोग की रोकथाम के उपाय बता रही है साथ ही प्रभावित जिलों में डोर टू डोर सर्वे का काम भी शुरू किया गया है।

देश में पहली बार 2020 में सामने आया था अफ्रीकन स्वाइन
पशुपालन विभाग के निदेशक भवानी सिंह राठौड़ का कहना है कि अफ्रीकन स्वाइन फीवर देश में पहली बार 2020 में सामने आया था। पिछले साल अगस्त में देश के कई राज्यों में इसकी उपस्थिति दर्ज की गई थी। उसके बाद राजस्थान में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू नामक बीमारी की रोकथाम के लिए एडवाइजरी जारी कर दी गई।

क्या है अफ्रीकन स्वाइन फीवर
यह एक अत्यधिक संक्रामक और घातक पशु रोग है, जो घरेलू तथा जंगली सूअरों को संक्रमित करता है। इसके संक्रमण से सूअर एक प्रकार के तीव्र रक्तस्रावी बुखार से पीड़ित होते हैं। इसके साथ ही अवसाद, एनोरेक्सिया, भूख न लगना, त्वचा में रक्तस्राव, उल्टी और दस्त भी होते हैं। इसमें शूकर की मृत्यु दर शत प्रतिशत तक हो सकती है। एक संक्रमित शूकर से दूसरे शूकर में तेजी से फैलती है। मृत्यु 3 से 10 दिन में हो जाती है।

यह है बचाव के उपाय
पशुपालक को एक किलोमीटर परिधि में नियंत्रण क्षेत्र बनाकर पशुओं को संरक्षित करना चाहिए, जिससे अन्य शूकर वंशीय पशुओं का संक्रमण से बचाव हो सके। फिलहाल इस रोग का उपचार व वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। केवल लक्षण के अनुसार ही दवा दी जा सकती है।