गुरूवार सुबह 8 बजे जब लोकसभा आम चुनाव की मतगणना शुरू हुई उससे पहले हर देशवासी को अपने प्रत्याशी की जीत की उम्मीद रही होगी। लोगों के बीच विभिन्न बातें हुई होंगी। देर शाम तक चुनाव परिणाम भी आ गए और जनादेश भाजपा के पक्ष में चला गया। भाजपा ने अकेले दम पर 300+ सीटें अपने नाम की है, एनडीए के नाम 355 सीटें रही। वहीं कांग्रेस को 52 तथा यूपीए को 91 सीटों के साथ संतोष करना पड़ा है।

आजादी के बाद यह 17 वीं लोक सभा के लिए आम चुनाव सम्पन्न हुआ है, पांच साल बाद फिर चुनाव होंगे लेकिन क्या राजनीति को लेकर हमारे देश का सिस्टम बदलना नहीं चाहिए। राजनीति में नेता 2 सीट से चुनाव लड़ सकता है लेकिन आप दो जगह वोट नहीं डाल सकते। आप जेल में बंद हैं तो आप वोट नहीं डाल सकते, लेकिन जेल में बंद रहते हुए नेता चुनाव लड़ सकता है। आप कभी जेल गए थे तो आपको जिंदगी भर कोई सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी, जबकि नेता कितनी ही बार हत्या या बलात्कार के मामले में जेल गया हो फिर भी वह प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति बन सकता है। बैंक में मामूली नौकरी पाने के लिए आपका ग्रेजुएट होना जरूरी है लेकिन अंगूठा छाप व्यक्ति भी हमारा देश का फाइनेंस मिनिस्टर बन सकता है।

आप सेना में भर्ती होने जा रहे हैं और सिपाही की नौकरी करने के लिए आपसे जो डिग्रियां मांगी जाएंगी वह तो ठीक है, लेकिन आपको 10 किलोमीटर दौड़ना भी पड़ेगा, जबकि नेता अनपढ़ और गंवार हो तब भी वह आर्मी, नेवी और एयरफोर्स का चीफ यानि डिफेंस मिनिस्टर बन सकता है और जिसके पूरे खानदान में आज तक कोई स्कूल नहीं गया वह नेता देश का शिक्षा मंत्री बन सकता है। जिस नेता पर हजारों केस चलते हैं वह नेता पुलिस डिपार्टमेंट का मुखिया यानि कि गृह मंत्री बन सकता है। सरकारी कर्मचारी संतोषजनक सेवा के बाद भी पेंशन का हकदार नहीं है, जबकि मात्र 5 वर्ष के लिए विधायक और सांसद चुना जाने वाला नेता पेंशन का हकदार है।

यह देश की जनता के साथ न्याय नहीं है बल्कि यह जनता के साथ खिलवाड़ है। आपको लगता है कि यह सिस्टम बदलना चाहिए तो देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह सिस्टम बदलने के लिए राजनीति और जनता के बीच होने वाले भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाएं। देश में लागू सभी पदों के लिए एक ही नियम लागू होने चाहिए जिससे कि देश का सिस्टम बेहतर तरीके से चलता रहे। जिस कानून से नेता और जनता के बीच भेदभाव की खाई चली आ रही है उस कानून को खत्म कर भेदभाव की खाई को पाटना जरूरी है।

ये लेखक के स्वतंत्र विचार हैं।
लेखक – रविन्द्र सिंह (संपादक, यंग राजस्थान)