अलवर जिले के रामगढ़ विधानसभा सीट पर 28जनवरी को हुए चुनाव का परिणाम आ चुका है। कांग्रेस की साफिया खान 12,228 मतों से वियजी हुई है। उन्हें बीजेपी के सुखवंत सिंह से कड़ी मिली। वहीं, बसपा के जगत सिंह तीसरे नंबर पर रहे। हालांकि, इस एक सीट पर हुए चुनाव का और उसके परिणाम का इतना प्रभाव नहीं है। लेकिन इस हार-जीत को लेकर राजनीतिक हलकों में अलग-अलग चर्चा है।

कांग्रेस ने जहां इस एक सीट के लिए अपने सभी सूरमा नेताओं को प्रचार के लिए मैदान में उतार दिया तो वहीं, भाजपा की ओर से कोई भी बड़ा दिग्गज इस चुनाव प्रचार में मैदान में नहीं आया। सबसे ज्यादा चौंकानें वाली बात तो यह रही कि सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी एक दिन के लिए भी प्रचार करने रामगढ़ नहीं पहुंचीं। सूत्रों की माने तो भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी और राजस्थान प्रभारी चन्द्रशेखर के ओवर कॉन्फिडेंस ने भाजपा की लुटिया यहां डिबोने में मुख्य भूमिका निभाई है।

राजनीति के जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे तो रामगढ़ में चुनाव प्रचार के लिए जाना भी चाहती थीं। लेकिन, प्रदेश नेतृत्व ने ओवर कॉन्फिडेंस में इस सीट के चुनाव प्रचार का जिम्मा अपने पास ही रखा। शायद वे भूल गए हैं, भले ही केन्द्रीय नेतृत्व ने राजे को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जरूर बना दिया है। जबकि, राजस्थान में भाजपा का एकमात्र चेहरा वसुंधरा राजे ही हैं। ये बात आलाकमान भी अच्छे से जानता था। तभी राजस्थान में मिशन25 में राजे को एक बार फिर फ्री हैण्ड देने की तैयारी मोदी-शाह की जोड़ी ने कर ली है।