भरतपुर के एक छोटे से गांव बरखेड़ा फौजदार में जन्में एक व्यक्ति ने जोधपुर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री ली और उसके बाद राजस्थान स्वास्थ्य विभाग में बतौर सरकारी डॉक्टर नौकरी की। लेकिन शायद यह उनकी मंजिल नहीं थी। इसलिए उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ राजनीति में भाग्य अपनाया और पहली ही बार में विधानसभा चुनाव जीत विधायक चुने गए। आज राजनीति में उनका कद बहुत ऊंचा है और उससे भी ऊंचा है उनका व्यवहारशील व्यक्तित्व। यह यह इंसान हमारे बीच में नहीं है। हम बात कर रहे हैं भाजपा के कद्दावर नेता और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेहद करीबी रहे डॉ. दिगंबर सिंह, जिनका शुक्रवार को जयपुर के ईएचसीसी अस्पताल में निधन हो गया। कल ही भरतपुर में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। आइए, जानते हैं डॉ. दिगंबर सिंह के व्यक्ति के बारे में कुछ बाते …
रौबीला और मिलनसार व्यक्तित्व
डॉ. दिगंबर सिंह का रौबीला व्यक्तित्व और दमदार आवाज हमेशा से भरतपुर के लोगों में घर की हुई है। लेकिन इस व्यक्तित्व के पीछे एक मिलनसार व्यवहार भी छुपा हुआ है। डॉ. सिंह लोगों से इतने घुले हुए थे कि उनके जाने का दुख भाजपाईयों की ही नहीं बल्कि कांग्रेस नेताओं को भी है। उनके निधन पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलेट और कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विश्वेन्द्र सिंह सहित तमाम कांग्रेसियों ने दुख जताया है।
सरकारी नौकरी छोड़ राजनीति में घुसे, अलग मुकाम बनाया
डॉ. दिगंबर सिंह ने जोधपुर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री ली और उसके बाद राजस्थान स्वास्थ्य विभाग में बतौर सरकारी डॉक्टर नौकरी की। 1993 में उन्होंन पहला चुनाव लड़ा और विधायक बने। अपने 24 साल के राजनीति करियर में वर्ष 2003 से लेकर 2013 तक दो बार डीग-कुम्हेर विधानसभा से विधायक चुने गए। भाजपा की पूर्व राजस्थान सरकार में स्वास्थ्य मंत्री और उद्योग मंत्री भी रहे।
प्रमुख जाट नेता और किसानों के पक्षधर
भरतपुर जिला जाट बाहुल्य होने के कारण दिगंबर सिंह प्रमुख जाट नेता के रूप में उभरे थे। अपने गृह जिले भरतपुर के साथ धौलपुर में उनका खासतौर पर दबदबा रहा है। इसी के साथ डॉ. सिंह किसान और गरीबों के पक्षधर भी थे। वर्तमान में दिगंबर सिंह बीस सूत्री कार्यक्रम (बीसूका) के राज्य स्तरीय समिति के उपाध्यक्ष थे जो उन्हें एक कैबिनेट मंत्री का दर्जा देता है। गरीबों के लिए ही केन्द्र सरकार की ओर से यह कार्यक्रम चलाया जाता है।
वसुंधरा राजे के नजदीकियों में गिनती
डॉ. दिगंबर सिंह की गिनती उन प्रमुख नेताओं में होती है जिन्हें मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबियों में जाना जाता है। यही वजह है कि उनकी मृत्यु का समाचार सुनकर मुख्यमंत्री तुरंत अस्पताल पहुंची और अपनी संवेदनाओं को नहीं रोक पाईं। यहां तक की उनके अंतिम दर्शनों के लिए भरतपुर भी पहुंची थीं।
खराब सेहत की वजह से राजनीति में सक्रियता हुई कम
दिगंबर सिंह को स्वास्थ्य कारणों के चलते ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बीसूका उपाध्यक्ष दिगम्बर सिंह लंबे समय से पेनक्रियाज कैंसर से पीड़ित थे। करीब एक साल से अपने स्वास्थ्य कारणों की वजह से ही उनकी राजनीति में सक्रियता काफी कम हो गई थी। लेकिन इसके बाद भी आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में उनकी उपस्थिति से इंकार नहीं किया जा सकता है। डॉ. सिंह के जाने से भारतीय जनता पार्टी को एक अपूरणीय क्षति पहुंची है।
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