राज्य सरकार के मंत्री भी अब सूचना का अधिकार अधिनियम के दायरे में आएंगे। राजस्थान सरकार के मंत्रियों को अब आरटीआई के तहत मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध करनी होगी। राजस्थान सूचना आयोग ने एक परिवाद का निस्तारण करते हुये यह महत्वपूर्ण आदेश दिया है। राज्य सूचना आयोग ने सभी मंत्रियों के कार्यलयों को लोक प्राधिकरण माना है। सूचना आयुक्त आशुतोष शर्मा की कोर्ट ने मंत्रियों के कार्यालयों को लोक प्राधिकरण मानते हुए मुख्य सचिव को निर्देश दिये हैं कि एक महीने में मंत्रियों के कार्यालयों में राज्य लोक सूचना अधिकारियों की नियुक्ति की जाये।
बीते 12 साल पर नाराजगी: सूचना आयोग ने गौरीशंकर मालू की द्वितीय अपील पर फैसले देते हुए नाराजगी के साथ ही आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम लागू होने के 12 साल बाद भी राज्य में मंत्रियों के कार्यालयों से सूचना प्राप्त करने की स्पष्ट और पुख्ता व्यवस्था नहीं होने के कारण ही आवेदक अपने अधिकार से वंचित हो रहे हैं।
संविधान के अधीन है मंत्री कार्यालय: सूचना आयुक्त आशुतोष शर्मा ने अपने निर्णय में कहा है कि मंत्रियों और उनके कार्यालयों का अस्तित्व संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत है और उनके कार्यालयों में जो दस्तावेज संधारित हैं उनकी आरटीआई के तहत सूचना प्राप्त की जा सकती है। ये दस्तावेज विभाग के अधिकारियों के प्रत्यक्ष नियंत्रण में नहीं होते जिससे वे इन्हें प्राप्त कर सूचना आवेदकों को उपलब्ध नहीं करवा पाते। इसलिए इस कार्यालय के लिए अलग पीआईओ होना आवश्यक है। बता दें कि परिवादी गौरीशंकर मालू ने ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री को दिये गये एक ज्ञापन पर हुई कार्रवाई से सम्बन्धित सूचना मांगी थी जिस पर विभाग ने जवाब दिया था कि सूचना मंत्री कार्यालय से सम्बन्धित होने के चलते उन्हें कोई सूचना उपलब्ध नहीं करवाई जा सकती। आयोग ने अपने फैसले में कहा है कि विभाग की वेबसाइट पर यह स्पष्ट उल्लेख किया जाये कि मंत्रियों के कार्यालयों की सूचना किस लोक सूचना अधिकारी से प्राप्त की जाये।
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वेबसाइट पर स्पष्ट उल्लेख करने के निर्देश: आयोग ने अपने फैसले में मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि मंत्रियों के कार्यालय में अलग से एसपीआईओ व प्रथम अपील अधिकारी लगाएं जाएं। अन्यथा विभाग की वेबसाइट पर स्पष्ट उल्लेख किया जाए कि मंत्रियों के कार्यालय की सूचना किस लोक सूचना अधिकारी से प्राप्त की जाए। सूचना आयोग ने विभाग की वेबसाइट पर सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4(1)(B) के तहत सूचना के जारी करने और उन्हें समय पर अपडेट करने के भी निर्देश दिए हैं।