जयपुर। शनिवार को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रदेश में प्रचार प्रसार का शोर थम चुका है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार बदलने वाला रिवाज बदलने का विश्वास जता रहे हैं। उनका कहना है कि केरल में 70 साल पुराना रिवाज बदल सकता है तो राजस्थान में 30 साल क्यों नहीं। वहीं, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता सरकार बदलने का दावा कर रहे हैं। इस बार विधानसभा चुनाव में कई जगह ऐसे रोचक मुकाबले हो रहे हैं। इन सीटों पर पूरे देश के लोगों की नजर है।

तीन दिग्गज नेताओं के वफादारों में मुकाबला
एक ऐसी ही सीट सीकर जिले के खंडेला विधानसभा है। इसमें पिछला मुकाबला जितना दिलचस्प था, इस बार भी उतना ही खास होने वाले है। साल 2018 में बीजेपी – कांग्रेस के बजाए निर्दलीय उम्मीदवार ने चुनाव जीता था। पांच साल बाद फिर खंडेला में फिर से त्रिकोणीय मुकाबले के समीकरण बन रहे हैं। इस बार होने वाले इस मुकाबले में जो उम्मीदवार उतरे हैं। उन्हें, राजस्थान के तीन दिग्गज नेताओं के वफादार के तौर पर जाना जाता है।

वसुंधरा राजे, अशोक गहलोत और सचिन पायलट के समर्थक
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, सचिन पायलट और अशोक गहलोत समर्थकों के बीच मुकाबला है। तीनों मुख्य उम्मीदवारों का बैकग्राउंड बेहद ही रोचक है। यहां कांग्रेस के 2018 के उम्मीदवार सुभाष मील, जो पायलट के वफादार थे। इस बार टिकट नहीं मिलने के बाद बीजेपी के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं निवर्तमान निर्दलीय विधायक महादेव सिंह खंडेला, जो गहलोत के वफादार हैं। इस बार कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी ने भी इस बार यहां अपने 2018 के उम्मीदवार बंशीधर बाजिया का टिकट काटा है। बाजिया वसुंधरा राजे समर्थक माने जाते हैं । पार्टी ने उनका टिकट काट लिया और वे बतौर निर्दलीय में मैदान में उतरे हैं।

कई बागी भी मैदान में, दिलचस्प होगा मुकाबला
इस बार चुनाव में कांग्रेस एवं भाजपा दोनों पार्टी में दर्जनों की संख्या में बागी उम्मीदवार सामने आए हैं। जिनमें दोनों ही दलों ने कई प्रत्याशियों के मनाने में सफल भी रहे और कई बागियों को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित भी कर दिया गया। लेकिन उसके बावजूद भी कई बागी चुनाव मैदान में डटे रहने के कारण पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के लिए समस्या बने हुए हैं।

40 से ज्यादा सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला
सूबे की 40 से ज्यादा सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार नजर आ रहे हैं। इनमें गहलोत सरकार के मंत्री सुभाष गर्ग भरतपुर सीट पर भाजपा प्रत्याशी विजय बंसल एवं अन्य प्रत्याशी गिरीश चौधरी के साथ त्रिकोणीय संघर्ष में फंसे हुए हैं। इस बार त्रिकोणीय मुकाबले में सबसे हॉट सीट बनी चित्तौड़गढ़ में मौजूद भाजपा विधायक चन्द्र भान सिंह आक्या पूर्व मंती एवं भाजपा उम्मीदवार नरपत सिंह राजवी एवं कांग्रेस के उम्मीदवार सुरेन्द्र सिंह जाड़ावत के लिए मुश्किल बने हुए हैं। आक्या का टिकट कटने के बाद वह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी भी सांसद चित्तौड़़गढ़ से ही हैं और यह उनका गृह जिला होने के बावजूद आक्या के समर्थन में जनसैलाब उमड़ने से सबकी नजर यहां के परिणाम पर टिकी हुई हैं।