जयपुर हेरिटेज नगर निगम मेयर मुनेश गुर्जर की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। सरकार के स्वास्थ्य शासन विभाग ने मुनेश को एक बार फिर निलंबित कर दिया है। विभाग ने आदेश जारी कर रिश्वत मामले में मेयर को पूरी तरह से दोषी और जिम्मेवार ठहराया है।
इस बार मुनेश को मेयर के साथ-साथ वार्ड 43 के पार्षद पद से भी निलंबित कर दिया गया है। विभाग ने भ्रष्टाचार और रिश्वत के बदले पट्टे जारी करने के मामले में मेयर मुनेश गुर्जर की स्पष्ट संलिप्तता स्वीकार की है। मामले में उन्हें पूरी तरह से दोषी और जिम्मेदार भी करार दिया गया है। आपको बता दें कि यह पट्टा जारी करने के लिए रिश्वत मांगने का मामला है। मेयर मुनेश के घर से 40 लाख रुपये बरामद हुए थे। एसीबी की ट्रैप कार्रवाई में मेयर पति सुशील गुर्जर और उनके दो दलाल 2 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए।
विभाग की ओर से जारी निलंबन आदेश में कहा गया है कि जांच रिपोर्ट के आधार पर मामले में दोषी पाए जाने पर मुनेश गुर्जर मेयर को राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39(1) के तहत सुनवाई का मौका देते हुए 17 अगस्त 2023 को स्पष्टीकरण नोटिस जारी किया गया। व्यक्तिगत उपस्थित होकर अथवा लिखित स्पष्टीकरण जवाब प्रस्तुत करने के लिए लिखा गया।
मुनेश गुर्जर के मांगने पर उन्हें जांच रिपोर्ट की प्रतियां और अन्य वांछित दस्तावेज भी दिए गए। उनके द्वारा प्रस्तुत स्पष्टीकरण नोटिस के उत्तर का परीक्षण किया गया, जो संतोषजनक नहीं पाया गया। ऐसे में सरकार ने राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 39(3) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए मामले को न्यायिक जांच के लिए विधि विभाग को भेज दिया है। मामले की न्यायिक जांच फिलहाल विधि विभाग में विचाराधीन है।
मुनेश गुर्जर का यह आचरण और व्यवहार राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 (1), (2), (3) और (6) के तहत अपने कर्तव्यों के निर्वहन में नगर निगम के महापौर के पद का दुरुपयोग है। कदाचार एवं अन्यथा पद का दुरुपयोग एवं उसके प्रतिकूल आचरण की श्रेणी में आता है।
चूंकि मामले की न्यायिक जांच अभी विधि विभाग में विचाराधीन है, इसलिए मुनेश गुर्जर द्वारा पद पर बने रहकर जांच को प्रभावित करने की आशंका को देखते हुए राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39(6) के तहत मुनेश मुनेश गुर्जर को महापौर और वार्ड नंबर 43 के पार्षद पद से निलंबित करती है।