राजस्थान सरकार के सबसे महत्वकांक्षी प्रोजेक्टस में से एक द्रव्यवती नदी के सौंदर्यकरण का काम है। अभी जेडीए और सरकार की प्राथमिकताओ की फेहरिस्त में इसका स्थान सबसे आगे है । कभी जयपुर की जीवनरेखा रही द्रव्यवती नदी की जगह करीब 35 सालों में अमानीशाह नाले ने ले ली। अब सरकार ने 1676 करोड़ में द्रव्यवती नदी को जीवित करने का काम टाटा प्रोजेक्ट्स कंपनी को सौंपा है।
जयपुर की लाइफलाईन थी कभी दृव्यावती नदी, अब नाला
राजस्थान की राजधानी जयपुर में भी एक वक्त पर एक नदी हुआ करती थी जो आज अतिक्रमणो और गंदगी का शिकार बनकर नाला हो चुकी है। गुजरात की साबरमती के तर्ज पर इसके सौंदर्यकरण के काम को लेकर राज्य सरकार बेहद गंभीर है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे औऱ जेडीए के पास दृव्यावती नदी का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है, जिसको पूरा करके वो अपने काम को साबित कर सकती है।
जेडीए और टाटा संस के लिए सबसे बड़ी चुनौती
द्रव्यवती नदी का काम राजस्थान सरकार ने जेडीए और टाटा सन्स को दे रखा है, लेकिन इस काम को करने के लिए सबसे बड़ी चुनौती नदी के अंदर फैला हुआ अतिक्रमण हटाना और जेडीए की खराब वित्तिय स्थिती की वजह से आ रही अड़चनो को दूर करना है।
1700 करोड़ की जमीन मिलेगी जेडीए को
जेडीए के आंकड़ों के मुताबिक अगर नाले को नदी में बदल दिया जाता है तो इसके आसपास की करीब 85 हेक्टेयर जमीन जेडीए को मिलेगी। कम से कम करीब 20 हजार रु प्रति वर्गमी रिजर्व प्राइस मानें तो भी करीब 1700 करोड़ रुपए जमीन की कीमत आंकी गई है। जेडीए इस जमीन के अधिकांश हिस्से में पार्क और सुविधा क्षेत्र विकसित करने की बात कह रहा है।
2,00,000 लोगों को बदबू से निजात
प्रोजेक्ट से अमानीशाह के आसपास बसी लगभग 200 कालोनियों के करीब 2 लाख लोगों को नाले की बदबू से निजात मिलेगी।
47 किमी में 10-12 फीट का वॉकवे
जेडीए 16 किमी में 5.5 मीटर की रोड कनेक्टिविटी देगा। इससे 100 कॉलोनियों को लाभ होगा। वहीं पूरे 47 किमी में वॉकवे की योजना है। प्रोजेक्ट 2018 तक पूरा करना है। इसके बाद 10 साल तक टाटा को उसके किए 47 किमी के कार्य की मेंटिनेंस भी करनी होगी। 47 किमी. एरिया के 2 लाख लोगों के घर के सामने होगा द्रव्यवती रीवर फ्रंट। 47 किलोमीटर में अमानीशाह नाले को द्रव्यवती नदी के रूप में विकसित करने के लिए जडीए और राज्य सरकार जीजान से लगे हैं । अगर जेडीए और टाटा प्रोजेक्ट्स कंपनी उनके दावों के मुताबिक काम करवा पाया तो इस प्रोजेक्ट से शहर का कायाकल्प हो जाएगा। फिलहाल नाले और इसके आसपास केवल गंदगी, बदबू, दूषित पानी, कब्जे-अतिक्रमण जैसे स्थायी हालात बने हुए हैं। अगर प्रोजेक्ट साकार होता है तो नाले के दोनों ओर बसी करीब 200 से ज्यादा कॉलोनियों के 2 लाख से ज्यादा लोगों को 24 घंटे रहने वाली बदबू-गंदगी से न केवल निजात मिलेगी, बल्कि बाग-वॉकवे की सौगात के साथ वे द्रव्यवती रीवर के फ्रंट पर होंगे।
ऐसे होगा अमानीशाह नाले से दृव्यावती नदी का काम
योजना के मुताबिक मजार डेम से सुशीलपुरा तक 9 किमी में 150 फीट चौड़ाई में और सुशीलपुरा से गोनेर रोड तक 210 फीट चौड़ाई में नाले को नीचे और दोनों ओर पक्का किया जाएगा। 170 एमएलडी दूषित जल को प्रतिदिन साफ किया जाएगा। इसके लिए 8 एसटीपी प्लांट लगेंगे। साथ ही 47 किमी एरिया में करीब 100 फाल स्ट्रक्चर्स का निर्माण होगा, जिससे यहां सालभर पानी दिखेगा। अन्यथा पानी आगे बहकर निकल जाता।
2018 तक बन जाएगा जयपुर में रिवरफ्रंट
जेडीए की ओर से विभिन्न जोन स्तर पर कराए गए सर्वे मुताबिक करीब 85 हेक्टेयर जमीन मिलेगी। करीब 20 हजार रिजर्व प्राइस के लिहाज से इस जमीन की कीमत करीब 1700 करोड़ रुपए आंकी गई है। हालांकि इसमें से ज्यादातर जमीन बेचने के बजाए आमजन के विकास कार्यों में काम ली जाएगी। फिर भी जेडीए को प्रोजेक्ट लागत में आधे से ज्यादा का रेवेन्यू इससे मिल जाएगा। जानकारी हो कि नाले को नदी बनाने का टार्गेट 2018 तक का रखा गया है। इसके बाद 10 साल तक टाटा को उसके किए 47 किमी के कार्य की मेंटिनेंस भी करनी होगी।
अभी तक यह हुआ
सेवापुरा व मथुरादासपुरा में मलबे को डालने के लिए जगह उपलब्ध कराई जा चुकी। मजार डेम के पास किशनबाग, सुशीलपुरा, देवरी, झालाना चौड़, सांगानेर में सांगा सेतु के पास, बंबाला, डेलावास, व जीरोता गांव में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, बैच मिक्स प्लांट, ऑफिस व स्टोर के लिए जरूरी जमीन भी उपलब्ध कराई जा चुकी है। काम आगे बढ़ाने के लिए एनवायरमेंटल क्लीयरेंस मिल चुकी।
ढूंढ नदी तक पानी साफ, सब्जियों में जहर से मुक्ति
नाले में बहने वाले गंदे पानी से ढूंढ नदी और आगे तक जाने वाला पानी शुद्ध होगा, जिसका उपयोग शहरभर के बगीचों में होगा। प्रदूषण नियंत्रण मंडल की रिपोर्टों मुताबिक गंदे पानी से भूजल में घुल रही नाइट्रोजन से निजात। गंदे पानी से हो रही सब्जियों से कैंसर जैसी भयावह बीमारियां फैल रही है, उनका स्थायी समाधान होगा। साफ पानी से खेती होगी तो स्वास्थ्य लाभ होगा। स्थायी समाधान, पर्यावरण शुद्ध और 65 हजार वमी में ग्रासलैंड । 16000 बड़े पेड़ लगाने के साथ ही 65 हजार वर्गमीटर में ग्रीनरी विकसित होगी इस परियोजना में। पार्कों की कमी पूरी होगी। यह काम समय रहते शुरू हो जाए इसके लिए जेडीए 24 करोड़ रुपए बतौर एडवांस भी दे रहा है।