बीकानेर। बीकानेर शहर की अधिकांश आबादी को शायद ही मालूम हो कि टनल कहते किसे हैं? यह किस काम आती है? यहां पूल हैं, अंडब्रिज हैं, ओवरब्रिज हैं, लेकिन टनल का यहां दूर-दूर तक कनेक्शन नहीं है। थोड़ी बहुत अगर है तो वह नेयवली लिग्नाइट में जरूर है, जहां कोयला खुदाई करके निकाला जाता है। लेकिन बीकानेर के ही एक शख्श ने इंजिनियिरिंग कर महारत हासिल की भी तो इस क्षेत्र में और इतनी कि उसे टनल स्पेशलिस्ट के नाम से जाना जाने लगा है। अब यह सख्श एंथेस में 12 से 19 मई तक होने वाली टनल स्पेशलिस्ट की विश्व कॉन्फ्रेन्स में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। देश के इस इंजीनियर का जन्म बीकानेर में चौधरी रमेश पूनिया के घर पर हुआ है।
इंजिनियर गौरव पूनिया(चौधरी) की आरंभिक शिक्षा बीकानेर में ही हुई है। इसके बाद दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन में जूनियर इंजीनियर से अपना सफर तय कर भारत सरकार के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यातायात निगम में डिप्टी चीफ इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं और देश में इनको टनल स्पेशलिस्ट के नाम से नवाजा गया है। इस समय यह देश की सबसे तेज गति से दौडऩे वाली रैपिड रेल मेरठ दिल्ली कॉरिडोर मैं 5 किलोमीटर मेरठ शहर की सुरंग खोदकर इस तेज गति से दौडऩे वाली ट्रेन का रास्ता आसान करने वाले इंजीनियर बने हैं। इसलिए देश के सर्वश्रेष्ठ टनल स्पेशलिस्ट के नाम से उनको जाना जाता है।
गौरव पूनिया एथेंस में विश्व के सर्वश्रेष्ठ टनल स्पेशलिस्ट के साथ अपने अनुभव और विचार साझा कर विश्व को एक नई यातायात व्यवस्था देने का कार्य करेंगे। बता दें कि गौरव चौधरी आईएसबीटी से हुडा सिटी सेंटर तक भूमिगत रेल के प्रभारी भी रहे हैं। जिसके ऊपर केंद्रीय सचिवालय से लेकर पूरे लुटियन जोन दिल्ली की भूमिगत रेल बनाने में अपना महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन किया है।