जयपुर। 10 मई को होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने मंगलवार को अपना मेनिफेस्टो जारी किया है। जिसमें पार्टी ने वादा किया कि अगर सरकार बनी तो बजरंग दल को प्रतिबंधित कर देगी। जहां एक ओर देशभर में बजरंग दल के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं वहीं भाजपा के नेताओं की भी बजरंग बली को लेकर बयानबाजी जारी है। बीजेपी नेता जहां इसे बजरंगबली का अपमान बता रहे हैं, वहीं पीएम मोदी ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा है। इधर बजरंग दल को बैन करने की एक नई बहस में कर्नाटक, छत्तीसगढ़ के बाद अब राजस्थान भी जुड़ गया है।

‘कांग्रेस की लंका जल कर होगी खाक’
राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ी ‘राजनीतिक रामायण’ शुरू हो गई है। राम और रावण के बाद बजरंगबली हनुमान की भी एंट्री हो गई है। इसे लेकर यहां पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में वार-पलटवार शुरू हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कर्नाटक में बजरंगबली के भक्तों की तुलना पीएफआई के कार्यकर्ताओं से किए जाने की जाने की निंदा की है।

‘PFI से बजरंग बली के भक्तों की तुलना शर्मनाक’
वसुंधरा राजे ने बजरंगबली के भक्तों को लेकर दिए गए बयान को शर्मनाक करार दिया है। अब माना जा रहा है कि राजस्थान में यह चुनावी मुद्दा होने वाला है। कांग्रेस यहां पर इसे मुद्दा भी बनाना चाह रही है और इससे दूरी भी बनाने के प्रयास कर रही है। बीजेपी और अन्य दलों की नजर इस मुद्दे पर बनी हुई है। राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने ट्वीट करके अपना विरोध जताया है। उन्होंने ट्वीट किया, कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में बजरंग बली के भक्तों की तुलना PFI जैसे आतंकी संगठन के कार्यकर्ताओं से की है, जो बेहद शर्मनाक है। इस तुष्टिकरण की नीति का जवाब कर्नाटक की जनता कांग्रेस को अवश्य देगी। वसुंधरा राजे ने अपने ट्वीट का अंत हनुमान चालीसा की दो पंक्तियां ‘संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा..’ के साथ की है।

देशभर में विरोध प्रदर्शन
बुधवार को बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में कांग्रेस के मुख्यालय के सामने इसका घोषणापत्र जलाकर विरोध जताया। हैदराबाद में भी कार्यकर्ताओं ने पार्टी मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया जिसके बाद पुलिस ने संगठन के कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया है।

जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल, कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को अपना घोषणापत्र जारी किया है। घोषणापत्र में कांग्रेस ने बजरंग दल की तुलना पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से की है और कहा कि अगर उन्‍हें सत्‍ता पर काबिज होने का अवसर मिला, तो वह इसे बैन करेंगे। इसका असर राजस्थान में ज्यादा देखा जा रहा है। यहां पर अलग-अलग जगहों पर विरोध भी हो रहा हैं। अब भाजपा इस मुद्दे को लेकर मैदान में जाने वाली है।