जयपुर। कांग्रेस के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट पिछले साढ़े चार साल अपनी ही पार्टी से ठोकरे रहे है। सचिन पायलट ने कुछ घोटालों का जिक्र करते हुए एक प्रेस कांफ्रेंस की है। इस दौरान उन्होंने कई ऐसे हास्यासपद बयान दिए है, जिनका कोई औचित्य नहीं है। हालांकि चुनावों के नजदीक आने पर पायलट के इस दांव के पीछे क्या रणनीति छुपी है इसकी भी चर्चा हो रही है जहां कांग्रेस सरकार अपनी योजनाओं और गहलोत के कामों पर सरकार रिपीट करने का दावा कर रही है वहीं पायलट ने अपनी ही सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर विरोधियों को मौका दे दिया है।
पायलट जी इतने दिनों तक क्योें चुप थे
चाहे कांग्रेस-भाजपा के कार्यकर्ता हो या फिर प्रदेश की जनता, आज हर कोई सचिन पायलट से कई सवाल कर रहे है। प्रदेश में बीते साढ़े साल से आपकी यानी कांग्रेस की सरकार है, तब आपने यह आरोप क्यों नहीं लगाए। आप खुद उपमुख्यमंत्री तक रहे है। आपने जिन घोटालों का आरोप लगाया है। वह साल 2003 से 2008 वाले कार्यकाल की बात कर रहे है। इस दौरान केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। 2009 में आप केंद्रीय मंत्री बने, तभी आपने यह आरोप नहीं लगाया। 2009 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी। तब भी आप इन आरोपों पर कुछ नहीं बोले। इतने दिनों तक आपके मुंह से एक शब्द नही निकला। तभी आपने इन घोटालों के बारे में कुछ नहीं बोला।
जांच के लिए माथुर आयोग का गठन, हाईकोर्ट ने किया खारिज
प्रदेश में 2009 में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी। तभी गहलोत सरकार ने पूर्व सीएम राजे के खिलाफ जांच के लिए एक माथुर आयोग का गठन किया था। हाईकोर्ट ने इसको खारिज कर दिया। बाद में माथुर आयोग को ही झूठा बता दिया गया। क्योंकि यह आयोग नियमों से नहीं बनी हुई थी।
गहलोत नहीं चाहते थे कार्रवाई हो
इसके बाद तत्काल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि माथुर आयोग का गठन कमिश्नर ऑफ इन्क्वायरी एक्ट के तहत नहीं बनाकर एक प्रशासनिक आदेश से किया गया था। इसकी लीगल हैसियत आयोग जैसी नहीं थी। कानूनी खामियां छोड़ने के कारण माथुर आयोग पर हाईकोर्ट से ही रोक लग गई थी। अशोक गहलोत ने कहा कि हम नहीं चाहते थे कि कार्रवाई हो। यदि कार्रवाई होती तो लोग यह कहते कि आपने राजनीतिक लाभ के लिए ऐसा किया है। गहलोत ने कहा था कि हमने जान-बूझकर इन्क्वायरी एक्ट में आयोग नहीं बनाया, क्योंकि उससे पूर्व CM को पूछताछ के लिए समन जारी होते सियासी बदले की भावना से कार्रवाई की बात आती।
वसुंधरा और गहलोत की मिलीभगत का आरोप
इसके अलावा एक सवाल यह भी बना हुआ है कि आखिर पायलट ने वसुंधरा और गहलोत की मिलीभगत का मुद्दा क्यों उठाया जिसको लेकर जानकारों का कहना है कि पायलट ने उसी पॉपुलर नैरेटिव को पकड़ा है जो सूबे में काफी समय से चल रहा है जहां अक्सर गहलोत और वसुंधरा की मिलीभगत के आरोप बीजेपी या विरोधी खेमों से लगाए जाते हैं। पायलट ने आरोप लगाया कि अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे के बीच कोई गठजोड़ है। अगर ऐसा होता तो आयोग क्यों बनाया और इसको झूठा क्यों करार दिया गया। यदि दोनों के बीच गठजोड़ ही होता तो मामले को हाईकोर्ट तक क्यों लेकर जाते।
अपनी सरकार के खिलाफ रचते रहे षड्यंत्र, अब अनशन का ढ़ोंग
सचिन पायलट अब अनशन का ढ़ोंग कर रहे है। अगर आप अनशन ही करने जा रहे है तो एक से क्या होगा। आपका यह अनशन आपकी ही सरकार के खिलाफ है। बीते साढ़े चार साल तक अपनी सरकार के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे है। पूरी दुनिया ने देखा है कि आप कैसे अपने विधायकों को लेकर जैसलमेर चले गए थे। फिर आप हरियाणा चले गए थे। फिर वापस आए और पीछे के दरवाजे से चुपचाप बैठ गए। आपको नकारा, गद्दार तक कहा गया। आप अपनी ही कांग्रेस सरकार के खिलाफ लगातार षड्यंत्र रचते रहे है, जब आप अपने मनसुबों में कामयाब नहीं हुआ तो अब आपने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पर निशाना साधा है। क्योंकि आप भी जानते है कि अपनी सरकार पर अब आप ज्यादा आरोप नहीं लगा सकते।
बालोतरा जैसी 6 बहनें रोज हो रही दरिंदों का शिकार
राजस्थान में लगातार अपराधिक घटनाएं बढ़ रही है। आपको पता है आपके समर्थन से राजस्थान में जो सरकार चल रही है, उसमें प्रदेश अपराध में न.1 बना हुआ है। बालोतरा जैसी 6 बहनें रोजाना दरिंदों का शिकार हो रही है। लेकिन फिर भी आपने मौन साधा हुआ था। पेपर लीक का मुद्दा हो, वीरांगनाओं के सम्मान की बात हो या फिर दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए न्याय की मांग… आपने जो दो शब्द बोले भी हैं तो वो भी सिवाय सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के अलावा कुछ नहीं था।