भरतपुर के 12 ऐतिहासिक दरवाजे हैं सन 1733 में महाराजा सूरजमल ने लोहागढ़ दुर्ग के निर्माण के समय दो दरवाजे प्रमुख रूप से दुर्ग के शुद्रढ द्वारों के रूप में जाने जाते हैं
पहला उत्तर का अष्ट धातु का दरवाजा
दूसरा दक्षिण का लोहा दरवाजा 1734 में भरतपुर के कच्चे दुर्ग (मिट्टी का परकोटा) में 10 नए दरवाजों का निर्माण कराया गया जिसमें प्रमुख रुप से
कुम्हेर की ओर जाने वाला कुम्हेर गेट दरवाजा, जो कि कुम्हेर वाले मार्ग को दर्शाता था
गोवर्धन दरवाजा, जो के गोवर्धन की दिशा को दर्शाता था एवं उसके मार्ग पर स्थित था भरतपुर राज परिवार की गोवर्धन की आस्था के रूप में यह दरवाजा देखा जाता था तथा यहां पर एक पाकिस्तानी टैंक रखा हुआ है जो कि पाकिस्तान विजय के प्रतीक के रूप में है।
जघीना गेट पुराने ऐतिहासिक गांव जघीना के मार्ग पर बनाया गया था गेट अतिक्रमण की बलि चढ़ गया अब 100 मीटर दूर नया गेट बना दिया गया है
बी नारायण गेट- यह गेट वीर नारायण सिंह के युद्ध कौशल की याद में बनाया गया था
नीम दरवाजा- यह दरवाजा भरतपुर के सबसे गहरी नींद खोदकर बनाया गया दरवाजा है कालांतर में इसे नीम दरवाजा कहने लगे
अटल बंद दरवाजा- यह अटल बंद बाहर एक बांध नुमा जगह के मुहाने पर था जिसके कारण इसका नाम अटल बंद दरवाजा पड़ा
अनाह गेट- यह द्वार अनाहा गांव की ओर मुख करके बनाया गया था इसलिए इसे आनाह गेट कहा गया
सूरजपोल गेट- यह गेट सूर्य दर्शन के लिए राज परिवार ने बनवाया था चांदपोल गेट यह गेट पूर्णमासी के दिन चांद को देखकर व्रत तोड़ने के लिए बनवाया गया था
मथुरा गेट- मथुरा जाने वाले मार्ग पर स्थित था इसलिए इसे मथुरा के कहा जाने लगा मथुरा गेट से कुम्हेर गेट के मध्य ही भरतपुर का पुराना बाजार स्थित था
अष्ट धातु का दरवाजा- 1765 में महाराजा जवाहर सिंह की दिल्ली विजय के बाद, चित्तौड़ के दुर्ग का जो गेट 1303 में अलाउद्दीन खिलजी पद्मावती ना मिलने पर नाराज होकर चित्तौड़ के दुर्ग के गेट को उखाड़ कर दिल्ली ले गया था उसे जवाहर सिंह 1765 में दिल्ली विजय के बाद उखाड़कर भरतपुर स्थित उत्तर में लोहागढ़ दुर्ग के द्वार पर लगा दिया यह राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक द्वारों में से एक है इसका वजन 20 टन का है तथा इसमें 6 टन अष्टधातु लगी हुई है इसमें सोना चांदी भी मिला हुआ है यह भरतपुर के उत्तर द्वार के रूप में उत्तरी द्वार के रूप में लगा हुआ है लोहागढ़ दुर्ग के दक्षिण में चौबुर्जा पर लगा हुआ लोहा द्वार दिल्ली के लाल किले से ही लाया हुआ एक द्वार है जो के राजा खेमकरण की घड़ी के सामने स्थित है
2015 में पर्यटन व आर्कोलॉजी मंत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा ने इन्हीं 12 दरवाजों की मरम्मत व संरक्षण के लिए 5 करोड़ रुपए सरकार के बजट से इनके रूप को निर्माण व संरक्षण कार्य करवाया। इसके अलावा भी भरतपुर में दिल्ली दरवाजा, महाराजा जवाहर सिंह की दिल्ली विजय के रूप में बनवाया गया था
केतन गेट- जो के गोपालगढ़ भरतपुर के पुराने मोहल्ले के मुख्य द्वार के रूप में है
इसके साथ ही भरतपुर में कई छोटे-छोटे दरबाजे स्थित हैं जैसे मस्तानी की सराय का दरवाजा, घेर नसवारिया दरवाजा, अमरीकन गेट सदर गेट, धाऊ हवेली का गेट ,रूपला पायशा का गेट ,पुरोहितों का गेट आदि प्रमुख गेटों का विवरण इतिहास में मिलता है जो अभी भी संरक्षण एवं मरम्मत के इंतजार में खड़े हैं।
संवाददाता- आशिष वर्मा