बीकानेर। कला एक ऐसी विधा है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होती है, तभी जीवित रह पाती है। यह हमारे देश का सौभाग्य है कि चाहे पेंटिंग हो, गायन हो, डांस हो या अन्य कोई आर्ट, विरासत के रूप में आगे बढ़ी और फलीफूली। यह विचार बीकानेर के डॉ. करणीसिंह स्टेडियम में चल रहे 14वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को कला दर्शनम आर्ट कैंप के शुभारंभ के अवसर पर मुख्य अतिथि केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की निदेशक किरण सोनी गुप्ता और केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव अमिता प्रसाद सरभाई ने प्रतिपादित किया।
केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल ने दीप प्रज्वलन के पश्चात कहा कि इस कला संगम में जहां वरिष्ठ कलाकार अपनी सधी कला से सुधी दर्शकों का दिल जीत रहे हैं, वहीं युवा उनसे प्रेरणा लेकर कला को आधुनिक पुट देकर और आकर्षक बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे जोश के साथ होश का बेहतरीन समन्वय हो रहा है। युवाओं और अनुभव के साथ से कला में जो निखार आ रहा है वह न सिर्फ आर्ट को गहराई से समझने वाले, बल्कि युवाओं को भी भाने लगा है। मेघवाल ने कहा कि हकीकत यह है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती और पूर्ण पारंगत नहीं होता, सीखना एक सतत प्रक्रिया है। जो सीखता जाता है, उसकी कला निखरती जाती है।
इस अवसर पर कूंची से जहां मेघवाल ने स्वास्तिक चिह्न बनाया, वहीं निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने राजस्थानी साफा पहने पुरुष का चित्र उकेरा।
44 कलाकार कर रहे शिरकत
दो मार्च तक चलने वाले कला दर्शनम कैंप में 44 कलाकर अपनी आर्ट का प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें 25 कला के क्षेत्र में नाम कमा चुके वरिष्ठ कलाकारों के साथ ही 19 युवा और स्टूडेंट्स भाग ले रहे हैं। इस कैंप की खूबी यह है कि हर कलाकार अपने उम्दा से उम्दा पेंटिंग्स बना रहे हैं, जिन्हें बीकानेर और आसपास के क्षेत्र से आने वाले दर्शक खूब सराह रहे हैं।