आनंद नगर कॉलोनी भरतपुर मैं एक निशुल्क सावित्रीबाई फुले बाल पाठशाला के वार्षिक उत्सव के पावन अवसर पर मुख्य अतिथि प्रेम सिंह आर्य ने अपने संबोधन में संदेश दिया की मास मदिरा आदि नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना तथा भोजन एक टाइम का मिले या ना मिले लेकिन बच्चों को स्कूल जाने से नहीं रोकना है।
बालकों की शिक्षा के साथ-साथ बालिकाओं की शिक्षा पर विशेष बल देना है एवं दहेज प्रथा मृत्यु भोज जैसे फिजूलखर्ची पर रोक लगाते हुए शिक्षा पर अधिक खर्च करना है। और आगे कहा कि शिक्षा ही जीवन है और जीवन ही शिक्षा है। संपूर्ण राष्ट्र का विकास वहां की शिक्षा पर निर्भर करता है। अतः शिक्षा सुसंस्कृत होनी चाहिए। संस्कार विहीन शिक्षा केवल थोथी शिक्षा है और वह संस्कार परिवार से ही मिलते हैं क्योंकि परिवार ही बालक की प्रथम पाठशाला है तथा मानवीय मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस कार्यक्रम में समाज के गणमान्य व्यक्ति भारी संख्या में उपस्थित रहे।