चुनाव में किसानों को कर्जमाफी का वादा कर सत्ता हासिल की जाती है। लेकिन यह वादा शर्त लागू होने के साथ होता है। जैसा कि राहुल गांधी ने राजस्थान में कहा था, दस गिनती करने तक किसानों का कर्ज माफ हो जाएगा लेकिन सरकार आने के बाद और सरकार के कार्यकाल का लास्ट साल चल रहा है अभी तक कर्जा माफ नहीं हुआ है अब किसानों के घर कुर्की के नोटिस पहुंच रहे हैं और गहलोत सरकार के मंत्री कहते हैं- हमने थोड़ी ना सबकी कर्जमाफी की बात की थी।
विधानसभा चुनाव जीतने के बाद में किसानों की सम्पूर्ण कर्ज माफी का वादा भुला दिया गया
चुनावी रैलियों में किसानों की कर्ज माफी का वादा कंडीशन के साथ किया जाता है, जो न तो दिखता है और न ही सुनाई देता है। और वादों पर विश्वास करने वाले किसान के सिर पर कर्ज बना रहता है। विधानसभा चुनाव जीतने के बाद में किसानों की सम्पूर्ण कर्ज माफी का वादा भुलकर पहले तो मुख्यमंत्री कौंन बने की लड़ाई में लगी रहे फिर भूमि विकास बैंक और सहकारी बैंक से कर्ज लेने वाले छोटे किसानों का ही पैसा माफ किया गया। ऐसे बैंकों से पांच प्रतिशत किसान ही कर्ज लेकर खेती करते हैं, जबकि 95 प्रतिशत किसान सरकारी या निजी बैंकों से कर्ज लेते हैं उनकों इस श्रेणी से बाहर रखा गया।
सत्ता का रास्ता खेतों से होकर गुजरता है। किसानों के कर्जमाफी हर चुनावों में राजनीतिक दलों के लिए किसानों के वोट बैंक को लुभाने का एक माध्यम बन गई है। राजस्थान सरकार ने अलग-अलग श्रेणी के कर्जदार किसानों के लिए कर्जमाफी की योजनाओं की घोषणा की। सहकारी बेंकों के कर्जे माफ़ भी हुए, लेकिन नेशनल बेंकों के कर्जे माफ़ी का अब भी किसानों को इंतजार है। राजस्थान के किसान कांग्रेस के इस वादे को लेकर अब तक अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।
गुजरात चुनाव से पहले भी कांग्रेस ने एक बार फिर किसान कर्ज माफी का दाव खेला था
गुजरात चुनाव से पहले भी कांग्रेस ने एक बार फिर किसान कर्ज माफी का दाव खेला था। राहुल गांधी ने गुजरात के किसानों से वादा किया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा, ऐसे में जब राजस्थान में ही वह किसानों के साथ किए वादों को पूरा नहीं कर पाई, तो गुजरात में उसके इस वादे की हकीकत क्या होती इसको जनता ने समझ लिया था इसलिए गुजरात चुनाव में कांग्रेस का यह पैंथरा काम नहीं आया और चुनाव में उसको हार का सामना करना पड़ा। राजस्थान में ही किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ, लेकिन किसानों के खेत साफ हो गये, हजारों किसानों की जमीनें नीलाम हो गईं, कई किसानों को आत्महत्या करने पर विवश होना पड़ा।
कांग्रेस सरकार किसानों की झूठी हितैषी होने का ढोंग करती है
कांग्रेस सरकार किसानों की झूठी हितैषी होने का ढोंग करती है। प्रदेश के किसान कर्ज, खाद, यूरिया की कमी, बिजली आपूर्ति की कमी, अतिवृष्टि का मुआवजा नहीं मिलने, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद नहीं होने से परेशान हैं।बात स्पष्ट है कि कर्ज माफी सिर्फ किसान वोटों को लुभाने का एक तरीका है। चुनावों में ऐसे वादे कर उनके वोट लेकर सत्ता में पर काबिज हो जाते है। फिर सरकार बनने के बाद उनसे किए वादों को बुला दिया जाता है। कांग्रेस सरकार द्धारा भी ऐसा ही किया गया। सरकार बनने से पहले तो सम्पूर्ण कर्जा माफी की बात की गयी फिर सरकार बनने के बाद उसमें इतनी कंडीशन जोड़ दी गयी की एक बड़ा वर्ग उस कर्ज माफी कि श्रेणी से ही अलग हो गया। लेकिन किसान अपने साथ हुऐ उस छलावे को अभी तक भुले नहीं है आने वाले चुनावों में वह इस बात को याद रखेगें और चुनावों में अपना मतदान कर अपनी प्रतिक्रिया देंगे।