जयपुर। राजस्थान में बीते 4 साल से कांग्रेस खेमे के बीच पायलट और गहलोत की खींचतान की खबरे लगातार आती रही है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी में गुटबाजी देखने को मिली। पिछले कुछ दिनों से अटकले लगाई जारी है कि आलाकमान जल्द सूबे की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे प्रदेश की कमान दे सकते है। इसी बीच बीजेपी सीएम फेस को लेकर एक बार बड़ी खबर आ रही है। पिछले चार वर्षों से राजस्थान की राजनीति से गुटबाजी की खबरें लगातार सामने आती रही। लेकिन अब अचानक एक पोस्टर ने सबको चौंका दिया है।
दो साल बाद वसुंधरा की पोस्टरों में वापसी
बीजेपी में सीएम फेस को लेकर आलाकमान की ओर से अभी तक सीएम फेस को लेकर कुछ साफ नहीं किया गया है। राजधानी जयपुर में एक ताजा घटनाक्रम हुआ जिसकी सियासी गलियारों में काफी चर्चा है जहां बीजेपी प्रदेश पार्टी मुख्यालय पर लगे नए होर्डिंग्स पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया सहित केंद्रीय नेताओं की तस्वीरों के साथ प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की वापसी हुई है। दरअसल पिछले 2 साल से वसुंधरा राजे इन पोस्टरों से गायब थी।
राजे होगी 2023 में पार्टी का फेस
वसुंधरा राजे को भी नए पोस्टरों में पार्टी के फेस के तौर पर दिखाया गया है। इसके बाद पार्टी के इस बदलाव पर राजस्थान बीजेपी में वसुंधरा राजे की चुनावी भूमिका को लेकर अटकलों का दौर तेज हो गया है।
समर्थकों में खुशी की लहर
पोस्टर में वापसी के बाद उनके समर्थकों में खुशी की लहर है। आपको बता दें कि वसुंधरा कैंप के नेता सीएम फेस बनाने की मांग लंबे समय से कर रहे है। उनके समर्थकाें को लगता है पार्टी आलाकमान राजे को ही विधानसभा चुनाव 2022 का सीएम फेस घोषित करेगी। लेकिन इसको लेकर केवल सियासी कयासबाजियां ही लगाई जा रही है।
वसुंधरा मजबूरी नहीं मजबूती
पाॅलिटिकल जानकारों के अनुसार, राजस्थान में भैंरोसिंह शेखावत के बाद अगर कोई लोकप्रिय चेहरा हैं तो वह केवल वसुंधरा राजे का है। क्याेंकि पार्टी के अन्य नेता वसुंधरा की तरह भीड़ नहीं जुटा पाते। मिसाल के तौर पर देखे तो जनाक्रोश अभियान को ही देखिए। पूरे अभियान के दौरान वसुंधरा जनाक्रोश रैलियों से गायब रही। इतना ही अपने क्षेत्र झालावाड़ में भी वही इतना सक्रिय नहीं दिखी। इसका खामियाजा यह हुआ कि पार्टी को अभियान के बीच में ही इसे लेकर रिव्यू मीटिंग तक करनी पड़ी।
राजे ही पार्टी में नई जान फूंक सकती है
वसुंधरा की सक्रियता ही पार्टी में नई जान फूंक सकती हैं। इसके अलावा पार्टी को कई उपचुनावों में भी हार का सामना करना पड़ा। जानकार भी यही मानते हैं कि वसुंधरा की अनदेखी करना पार्टी की सेहत के लिए ठीक नहीं होगा।