जयपुर। राजस्थान में बीते 25 सितंबर को कांग्रेस के सियासी संकट के दौरान विधायकों के सामूहिक इस्तीफे पर राजस्थान हाईकोर्ट ने कड़ा रूख अपनाया है। हाइकोर्ट ने कांग्रेस के 91 विधायकों की ओर से दिए इस्तीफों पर निर्णय नहीं करने को लेकर विधानसभा स्पीकर और सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने स्पीकर से इस्तीफों पर 2 सप्ताह में जबाव मांगा है। राजेंद्र राठौड़ की याचिका पर जस्टिस एम.एम. श्रीवास्तव और जस्टिस वी.के. भारवानी की खंडपीठ में सुनवाई हुई।
2 हफ्ते में दे स्पीकर जवाब
कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए स्पीकर और विधानसभा सचिव से पूछा है कि 70 दिन तक विधायकों के इस्तीफे पर फैसला क्यों नही किया। इस पर 2 हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करें। इस मामले में बीजेपी से उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने खुद ही पैरवी की है। इस दौरान राजेन्द्र राठौड़ ने कहा मेरी याचिका को कोर्ट ने स्वीकार किया है।
बीते सप्ताह हाईकोर्ट में दायर की याचिका
राठौड़ ने विधायकों के इस्तीफों के मामले में हाईकोर्ट में बीते हफ्ते एक याचिका दाखिल कर सुनवाई करने की अपील की थी। वहीं इससे पहले बीते महीने बीजेपी के एक प्रतिनिधि दल ने जयपुर में विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी से मुलाकात कर विधायकों के इस्तीफे पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग भी की थी।
स्पीकर ने इस्तीफे क्यों स्वीकार नहीं किए
याचिका में कहा गया कि यदि कोई विधायक इस्तीफा स्वयं पेश करता है तो विधानसभा प्रक्रिया नियम 173 के तहत स्पीकर के पास इस्तीफा स्वीकार करने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं होता। सिर्फ इस्तीफा स्वैच्छिक और दबाव में है या नहीं को लेकर ही जांच की जा सकती है।
विधायक के विधानसभा में प्रवेश पर रोक की मांग
याचिका में यह भी कहा गया कि यह असंभव है कि इतनी बडी संख्या में विधायकों से जबरन इस्तीफों पर हस्ताक्षर करवाए गए हो या उनके फर्जी हस्ताक्षर किए गए हो। विधायकों के इस्तीफे देने के चलते सरकार सदन में अपना विश्वास खो चुकी है। इसके बावजूद इस्तीफा देने वाले मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद सहित अन्य सरकारी बैठकों में शामिल हो रहे हैं। याचिका में भी गुहार की गई है कि इस्तीफा देने वाले विधायकों के नाम सार्वजनिक किए जाएं और बतौर विधायक इनका विधानसभा में प्रवेश से रोका जाए।
दो महीने पहले 90 विधायकों ने दिया था इस्तीफा
आपको बता दें कि बीते 25 सितंबर में अशोक गहलोत खेमे के करीब 90 विधायकों के इस्तीफा सौंपने के करीब 2 महीने बीत जाने बाद भी विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की ओर से कोई तस्वीर साफ नहीं की गई है। इसके बाद बीजेपी ने अदालत को दरवाजा खटखटाते हुए इस मामले में कांग्रेस सरकार को घेरना चाहती है।