जयपुर। प्रदेश में अपनी सरकार बनाने से पहले कांग्रेस ने कई लंबे चौड़े भाषण दिए थे। इसके बाद ही प्रदेश की जनता से अनेक प्रकार के वादें भी किए थे। भोलीभाली जनता इनकी चिकनी-चुपड़ी बातों में आ गई थी और पांच साल के लिए चुना लिया है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने किए गए वादों में से एक भी वादा पूरा नहीं किया। मुख्यमंत्री गहलोत के साथ उनके मंत्रिगण भी अपना कामकाज ना तो ईमानदारी और ना ही ढंग से कर रहे है। कांग्रेस सरकार हर मोर्च पर असफल साबित हुई है। यह सरकार ना जनता की सुखसुविधा का ख्याल रही रही है और ना ही प्रदेश के किसान और जीव जंतुओं का। पिछले दिनों से हो रही बाघों की मौत का मामला प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में छाया हुआ है। लगातार हो रही बाघों की मौत ने देशभर के बाघ प्रेमियों को सकते में ला दिया।
कुंभकरण की नींद में सोई है सरकार
मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में एक के बाद एक हो रही बाघों की मौत के मामले में गहलोत सरकार ने अभी तक जांच नहीं करवाई है। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि यह जांच चार अगस्त को सीनियर मोस्ट आईएफएस और पीसीसीएफ योगेंद्र कुमार दक को सौंपी गई थी। इस जांच से बाघों की मौत के कारणों का पता चलता और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई हो सकती थी। लेकिन 50 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक प्रशासन भी कुंभकरण की नींद में सोए हुए है।
दोषियों को बचा रहे है
इन हालात ने प्रदेश के वन विभाग की मॉनिटनिंग और जिम्मेदारों के मैनेजमेंट पर कई सवाल खड़ हो रहे है। हर कोई यह जानना चाहता है कि इस दबाव के कारण इस मामले में लापरवाही और उदसीनता बरती जा रही है। वन विभाग में अब तक के हालात जांच के नाम पर दोषियों को बचाने में लगे हुए है।
7 महीने बाद भी शुरू नहीं हुई जांच
रणथंभौर नेशनल टाइगर पार्क से गायब हुए 26 बाघों की रिपोर्ट 7 महीने बाद लापता है। वनमंत्री सुखराम विश्नोई और आदेश करने वाले चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरिंदम तोमर अब तक खामोश है। जांच के लिए 15 दिन का समय था। यहीं रवैया नाहरगढ़ बायोलॉजिक पार्क में हुई शेर-बाघों की मौत की जांच को लेकर रहा था। लेकिन सरकार जांच का आदेश देकर भूल गई। इस मामले में कई महीनें बीत जाने के भी इसकी जांच शुरू नहीं हुई है।