नई दिल्ली। देश के सबसे पुराने मामले अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया है। शीर्ष न्यायालय के पांच जजों की संविधान पीठ ने शनिवार सुबह करीब 10.40 बजे सर्रसम्मति से अपना निर्णय लेते हुए विवादित जमीन का पूरा 2.77 एकड़ हिस्सा रामलला विराजमान को दिए जाने का आदेश दिया। कोर्ट ने मंदिर निर्माण के लिए केन्द्र सरकार को तीन माह में ट्रस्ट बनाने और इसकी योजना तैयार करने का निर्देश भी दिया। साथ ही मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन अयोध्या में ही दिए जाने की बात कही। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में माना कि ढहाया गया ढांचा भगवान राम का ही जन्म स्थान है, लेकिन कोर्ट में मामला लंबित होने के बावजूद मस्जिद को नुकसान पहुंचाना कानून का उल्लंघन।
एक हजार 45 पन्नों के फैसले को करीब 45 मिनट तक पढ़ते हुए संविधान पीठ ने देश के सदियों पुराने विवाद का अंत कर दिया। मामले में शामिल जज रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबोडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस अब्दुल नजीर फैसला पढ़ते हुए स्पष्ट किया कि मस्जिद को अहम स्थान पर ही बनाया जाए। साथ ही रामलला विराजमान को दी गई विवादित जमीन का स्वामित्व केंद्र सरकार के रिसीवर के पास ही रहना चाहिए। कोर्ट के फैसले के बाद प्रधानमंत्री मोदी सहित देश के सभी राजनीतिज्ञों ने शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है।
यह है सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अहम बिंदु
कोर्ट ने माना – हिन्दू सीता रसोई में पूजा करते थे।
18वीं सदी तक नमाज पढ़ने के कोई सबूत नहीं।
कोर्ट के दखल से नमाज और पूजा एक साथ होती रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा – ASI ने भी मस्जिद के नीचे मंदिर के सबूत मिले थे।
रेलिंग लगाना भी कानून का उल्लंघन।
कोर्ट ने यह भी माना – बाबरी मस्जिद को ढहाना कानून का उल्लंघन था।
मुस्लिम पक्ष का जमीन पर कोई विशेष कब्जा नहीं।
मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए वैकल्पिक जमीन देने का आदेश दिया है।
मुस्लिम अयोध्या की विवादित जमीन पर अपना अधिकार साबित नहीं कर पाए।
कोर्ट का फैसला – आस्था के आधार पर नहीं, बल्कि ASI की रिपोर्ट के आधार पर दिया गया है।
कोर्ट ने कहा कि राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, यह मंदिर पक्ष ने साबित किया है।
जमीन का अधिकार ट्रस्ट बनाकर उसको दिया जाए।
शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज किया।
सु्न्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही अलग से 5 एकड़ जमीन देने के आदेश।
राम जन्मभूमि न्यास को विवादित जमीन दे दी जाए -सुप्रीम कोर्ट।
मंदिर निर्माण के लिए शीघ्र ट्रस्ट बनाया जाए।
हमारा फैसला आस्था और मिथ्याओं पर नहीं, बल्कि सबूतों के आधार पर कानूनी दायरे से लिया गया है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील, मस्जिद के पक्षकार जफरयाब जिलानी ने कहा – सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हैं लेकिन संतुष्ट नहीं।
हम फैसले का सम्मान करते हैं, सरकार हमें शीघ्र जमीन दें ताकि मस्जिद बनाई जाए। – इकबाल अंसारी।
सुन्नी वक्फ बोर्ड का बयान – सुप्रीम कोर्ट में पुनविर्चार याचिका नहीं डालेंगे।