जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलने वाली सरकारी आवास व अन्य सुविधाओं के लिए अपात्र मानते हुए अहम फैसला सुनाया है। जस्टिस प्रकाश गुप्ता ने फैसले में राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम 2017 को मनमाना और अवैध करार दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्रियो को अपने मौजूदा सरकारी आवासों को खाली करना होगा। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को सरकारी आवास 13 नंबर और जगन्नाथ पहाड़िया को अपना सरकारी बंगला खाली करना होगा। वैसे तो आठ नंबर बंगला मुख्यमंत्री आवास के लिए आधिकारिक है। लेकिन पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने पिछले कार्यकाल के दौरान 8 नंबर की जगह उन्हें आवंटित किए गए 13 नंबर में ही रह रही थी। अब पूर्व सीएम राजे को 13 नंबर खाली करना होगा। फिलहाल वसुंधरा राजे और जगन्नाथ पहाड़िया ही पूर्व सीएम के रूप में सरकारी आवास की सुविधा का लाभ उठा रहे है।

कोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश में राजनीतिक हलचल एकाएक तेज हो गई है, क्योंकि सभी की निगाहें पूर्व सीएम राजे के बंगला नं. 13 पर विशेष रूप से टिकी हुई है। राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम 2017 को अवैध घोषित किए जाने के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला, गाड़ी और कर्मचारियों की सेवाएं आदि नहीं मिलेगी।

कभी भाजपा के कद्दावर नेताओं में शामिल रहे घनश्याम तिवाड़ी कोर्ट के इस फैसले के बाद काफी खुश हैं। तिवाड़ी ने कहा कि पूर्व बीजेपी सरकार व्यक्तिगत फायदे के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद संशोधन विधेयक लेकर आई थी। गौरतलब है कि इस विधेयक का विरोध करने की वजह से ही तिवाड़ी का पार्टी में कद इतना कम हो गया था कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भी ऐसा ही आदेश दिया था। उस आदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला नहीं दिए जा सकने की बात थी।