जयपुर। चुनाव आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता की घोषणा के साथ ही देशभर में लोकसभा चुनावों की हलचल तेज हो गई है। सभी पार्टियां अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही मतदाताओं को रिझाने के प्रयास में जुट चुकी है। लोकतंत्र के इस चुनावी रंग से राजस्थान भी पूरी तरह रंगा नजर आने लगा है। जहां भाजपा ने 25 में से अपने 16 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है, वहीं कांग्रेस कई दौर की बैठकों के बाद अभी तक किसी भी प्रत्याशी पर अंतिम सहमति नहीं बना पाई है।
वसुंधरा राजे बनी भाजपा की कर्णधार
मीडिया भले ही लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भाजपा का सबसे बड़ा मोहरा बता रहा हो। लेकिन राजस्थान में वसुंधरा राजे के बिना मिशन-25 तक पहुंच पाना भारतीय जनता पार्टी के लिए दूर की कौड़ी ही साबित होगा। वसुंधरा राजे पिछले 40 वर्षों से राजस्थान की राजनीति में सक्रिय है तथा श्रीगंगानगर से झालावाड़ व धौलपुर से जैसलमेर तक जनता के मिजाज से वाकिफ है। यही कारण है कि केन्द्रीय नेतृत्व से अनबन की खबरों के बावजूद वसुंधरा राजे राजस्थान में लोकसभा चुनावों के लिए तुरुप का इक्का साबित हो रही है। हालांकि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस तथ्य से भी पूरी तरह वाकिफ है कि हाड़ौती व मेवाड़ में पार्टी ने वसुंधरा राजे के दम पर ही विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था।
दो नाव में सवार कांग्रेस, बिगड़ा समीकरण
विधानसभा चुनावों की तरह भाजपा ने लोकसभा चुनावों में भी एक कदम आगे बढ़ते हुए कांग्रेस से पहले अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। वहीं कांग्रेस में अभी तक संभावितों के नाम भी तय नहीं हो पा रहे हैं। पार्टी के करीबी सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जारी खींचतान व गुटबाजी इस देरी की मुख्य वजह मानी जा रही है। हालांकि, कांग्रेस नेतृत्व लोकप्रिय उम्मीदवारों की सूची बनाने का हवाला देकर मीडिया के सवालों से बचता नजर आ रहा है। लेकिन, राजनीतिक पंडित इस देरी को कांग्रेस के लिए बड़ा नुकसान बता रहे हैं।
उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ का तंज
कांग्रेस द्वारा सूची जारी नहीं करने पर भाजपा के वरिष्ठ नेता व उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कांग्रेस पर हमला बोला है। उन्होंने सत्ताधारी पार्टी पर चुटकी लेते हुए कहा कि देशभर में कांग्रेस टुकड़ों में बटी हुई है तथा राजस्थान में मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्रियों द्वारा बनाई गई दो धाराओं में बह रही है। राठौड़ ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट पिछले दो महीनों से प्रत्याशियों के चयन को लेकर बैठकें कर रहे हैं, लेकिन दोनों की गुटबाजी के कारण अभी तक एक भी उम्मीदवार पर सहमति नहीं बन पाई है।