राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल चुका है। 10साल में 70लोगों की मौत का गवाह बना ये आंदोलन फिर से शुरू होने की कगार पर खड़ा है। गुर्जरों ने इसके लिए 8 फरवरी की तारीख तय की है। जिसकी शुरूआत सवाईमोधापुर जिले से होने वाली है। आंदोलन की औपचारिक घोषणा आज माने मंगलवार को अजमेर जिले के मसूदा में आयोजित महापंचायत में होगी। जिसमें गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला भी मौजूद रहेंगे।
मंगलवार को अजमेर की महापंचायत में ही आंदोलन की आगामी रणनीति भी तय होगी। गुर्जर आंदोलन को लेकर गहलोत सरकार अब तक खामोश है। सरकार की ओर से इस आंदोलन को लेकर कोई भी बयान नहीं आया है। वहीं, आंदोलन से जुड़ें लोगों का कहना है कि हमें सरकार की ओर से अभी तक कोई सकारात्म्क जवाब नहीं मिला है। ऐसे में एक बार फिर राजस्थान आंदोलन की आग में जलेगा, जिसके जिम्मेदार सरकार और उसके प्रतिनिधि होंगे।
गुर्जरों की दो महापंचायत सवाई माधोपुर और बूंदी में आयोजित हो चुकी है। महापंचायतों के बाद राज्य सरकार से गुर्जरों को कोई वार्ता का न्योता नहीं मिलने के बाद गुर्जर इस फैसले पर पहुंचे हैं। अजमेर के दौसा में भी महापंचायत प्रस्तावित है। हालांकि, दौसा की महापंचायत से पहले ही माने आज ही गुर्जर आंदोलन की तारीख का ऐलान होगा। गौरतलब है कि राजस्थान में गुर्जर सहित पांच जातियों को ओबीसी के साथ-साथ एक प्रतिशत एसबीसी आरक्षण का फायदा दिया जा रहा है। गुर्जर चाहते हैं कि पांच प्रतिशत अलग से आरक्षण मिलें।
सूबे के दोनों मुखिया अशोक गहलोत और सचिन पायलट आरक्षण की आग से चिंतित तो हैं लेकिन, इसे रोका कैसे जाए। इसको लेकर न तो गुर्जरों के प्रतिनिधि से इस बारे में बात की और न ही इसके लिए आगामी कोई रणनीति सरकार की ओर से बनाई गई है। ऐसे में राजस्थान एक बार आरक्षण की आग में जलने के लिए ज्वालामुखी के मुहाने पर खड़ा है, और सरकार हर बार की तरह मौन…
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