जयपुर। फरवरी, 2018 में राजस्थान के विभिन्न शहरों में आयोजित रीट की भर्ती परीक्षा अब चयनित अभ्यर्थियों के लिए वो गले की हड्डी बन चुकी है जो न निगलते बन रही है और न ही उगलते बन रही है। दरअसल जब मई में इस प्रतियोगी परीक्षा का परिणाम आया तो चयनितों की सरकारी नौकरी का रास्ता तो खुला ही। साथ ही उन अधबुड्ढे युवाओं के पणि-ग्रहण संस्कार का रास्ता भी साफ हो गया, जो बरोजगारी के ठप्पे के कारण अब तक बिन ब्याहे घुम रहे थे। अब उन बेचारों को थोड़े ना पता था कि राजस्थान में सरकारी नौकरी के लिए क्या क्या पापड़ बेलने पड़ते हैं। पहले फॉर्म भरो, फिर तैयारी करो, परीक्षा दो, इंटरव्यू दो, सलेक्शन कराओ, कोर्ट जाओ, धरने दो, अधिकारियों/नेताओं से सेटिंग कराओ तब जाकर आपकी छोटी-मोटी नौकरी लगेगी। और यदि ऐसे में सरकार बदल गई तो समझो करी कराई मेहनत पूरी बेकार।
हाथ पीले होने थे, जिंदगी काली हो गई
रीट चयनितों की समस्याओं के विश्लेषण में हमारी मुलाकात सीकर जिले की दांतारामगढ़ तहसील के एक ऐसे युवा से हुई जिसकी आगामी 10 फरवरी को शादी तय हो गई थी। इस 32 वर्षीय अभ्यर्थी ने नाम व पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि पिछले 10 सालों से मेरा रिश्ता तय नहीं हो पा रहा था लेकिन जैसे ही मेरा रीट में चयन हुआ आस-पास के कई गांवों से रिश्ते आने लग गए। चूंकि मनुष्य एक विवाहशील प्राणी है और अच्छे-अच्छे जहाज इस दरिया में डूबे हैं, तो भला मैं कैसे पीछे रहता। मैंने भी कई दौर के इंटरव्यू और मुलाकातों के बाद एक सुंदर व सुशील सी कन्या का चयन कर लिया और शादी की तारीख भी तय हो गई। पहले शादी अगस्त में तय हुई क्योंकि जुलाई में हमारी पोस्टिंग थी। लेकिन पोस्टिंग में आई अड़चनों के बाद दिसंबर में शादी तय हुई और फिर फरवरी में। चूंकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है और नवगठित कांग्रेस सरकार आश्वासनों के ढोल बजा रही हैं, जिसके कारण हमारे जीवन में बजने वाली शहनाई भी अटकी पड़ी है। अब लड़की वालों ने एक और बहाना बनाकर शादी की तारीख आगे करने का फैसला ले लिया है।
देर ना हो जाए, कहीं देर ना हो जाए
यह कहानी केवल एक अभ्यर्थी की नहीं बल्कि उन 26 हजार चयनितों में से बिन ब्याहे घुम रहे हजारों युवाओं की है जो किराये की शेरवानी पहने, सपनों की घोड़ी पर चढ़कर घुम रहे हैं। इनमें से कुछ अज्ञानी तो कोर्ट के सकारात्मक फैसले वाले खयाली पुलाव पाले बैठे हैं। लेकिन कुछ राजनीति के जानकार युवा मन ही मन सरकार से सवाल पुछ रहे हैं कि जब कोर्ट से भर्ती को हरी झंडी मिल चुकी थी तो फिर कांग्रेस ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर नियुक्तियां रूकवाई क्यों ? इनमें कुछ डेढ़ स्याणे वो भी हैं जो उफ्फ मुख्यमंत्री सचिन पायलट के ‘सरकार बनी तो 15 दिन में नियुक्ति दूंगा’ के झांसे में आकर उसी धारा में बह गए। और तनिक बहुत कानून के जानकार ऐसे भी हैं जो इस बात से अनजान थे कि रीट भर्ती को कोर्ट में अटकाने वाला याचिकाकर्ता वर्तमान सत्ताशीन पार्टी का ही कार्यकर्ता है तथा वकील सीएम गहलोत के करीबी है। चलो छोड़ो, हमें क्या ? हम तो बस ये ही दुआ करते हैं कि जितनी जल्दी हो सके मामले का निपटारा हो जाए और इन बनड़ो के हाथ पीले हो जाए। क्योंकि कोई है जो इन सरकारी बेरोजगारों के इंतजार में बाल संवारती हुई मन ही मन गा रही है – देर ना हो जाए, कहीं देर ना हो जाए…