कांग्रेस सहित मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजस्थान की सत्ता संभाले हुए डेढ़ महीने से ज्यादा हो गया है लेकिन सब कुछ न तो सही हो रहा है, न ही नियंत्रण में आ रहा है। सत्ता हासिल करते ही पहले किसान कर्जमाफी और बाद में स्वाइन फ्लू। अब एक नई मुसीबत आ खड़ी हुई है। दरअसल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नई नवेली राजस्थान सरकार पर 20 करोड़ रुपए का जुर्माना ठोका है। साथ ही सीईटीपी ऑपरेटर पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना प्रदेश की बांडी नदी में प्रदूषण रोकने में विफल रहने पर किया है। बांडी नदी में स्थानीय टेक्सटाइल यूनिटों का गंदा पानी जाता है। जस्टिस राघवेंद्र एस.राठौड़ की बैंच ने राजस्थान के मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि एक माह में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में उक्त राशि अंतरिम राशि के रूप में जमा कराई जाए। सरकार इस राशि की वसूली प्रदूषण फैलाने वालों से कर सकेगी।
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खंडपीठ ने कृषि सचिव और राजस्थान सरकार को यह निर्देश भी दिए हैं कि बांडी नदी के प्रदूषण से कृषि योग्य जमीन, नजदीकी कुंओं और किसानों को हो रहे नुकसान का आंकलन भी कराएं। इसकी रिपोर्ट एक माह में दी जाए और इसमें किसानों को दिए जाने वाले मुआवजे का भी उल्लेख किया जाए। खंडपीठ ने यह आदेश किसान पर्यावरण संघर्ष समिति की याचिका पर दिए हैं।
याचिका में कहा गया था कि टेक्सटाइल इकाइयां बांडी नदी को प्रदूषित कर रही हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट ने यहां किए गए अध्ययन में पाया था कि पाली का 80 प्रतिशत सतही और भूमिगत जल पीने योग्य नहीं है। इनमें काफी अधिक मात्रा में आर्गेनिक प्रदूषक तत्व थे। यह केस 2012 में जोधपुर हाई कोर्ट से एनजीटी को स्थानांतरित किया गया था। एनजीटी ने कहा है कि सरकार ने गांववासियों के स्वास्थ्य और पेयजल की सुरक्षा तथा खेती की जमीन को होने वाले नुकसान पर कोई ध्यान नहीं दिया है। संस्था ने स्वास्थ्य सचिव को लोगों के स्वास्थ्य के बारे में एक रिपोर्ट तैयार करने और हर माह स्वास्थ्य जांच शिविर लगाने को कहा है।
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