सरकार बनने के एक पखवाड़े बाद ही कांग्रेस में स्कैम की सुगबुगाहट आने लगी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने चेहते अधिकारियों और मंत्रियों के साथ साथ न्यायपालिका में भी हस्तक्षेप की शुरुआत कर दी है। गहलोत ने पहले अपने खास वरिष्ठ अधिवक्ता एमएस सिंघवी को राज्य का नया महाधिवक्ता नियुक्त किया तो अब विधानसभा चुनाव के दौरान वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा पर सवाल खड़ा करने वाले वकील विभूति भूषण शर्मा को अतिरिक्त महाधिवक्ता के पद पर नियुक्त कर नए स्कैम करने के साथ ही पुराने घोटालों में भी राहत की पूरी तैयारी कर ली है।
न्यायपालिका में इस तरह की नियुक्ति के बाद से ही चर्चाओं का बाजार गर्म है। एडवोकेट विभूति भूषण को जहां गौरव यात्रा पर रोक लगाने के केस का इनाम अतिरिक्त महाधिवक्ता के पद पर नियुक्ति मिली है। तो वहीं सिंघवी पिछली गहलोत सरकार के घोटालों की पैरवी में गहलोत के पुराने सहयोगी रहे हैं। ऐसे में गहलोत न्यायपालिका में हस्तक्षेप कर सत्ता का दुरुपयोग करने का पूरा मन बना चुके हैं।
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जानकारों की माने तो अशोक गहलोत का मुख्यमंत्री के तौर पर राजस्थान में अंतिम कार्यकाल है। ऐसे में न्यायपालिका में हस्तक्षेप कर गहलोत न केवल रॉबर्ट वाड्रा सहित तमाम बड़े केसों में घालमेल कर खुद व कांग्रेसी मुखियाओं को राहत देना चाहते हैं बल्कि, प्रियंका और सोनिया गांधी को बताना चाहते हैं कि उन्होंने उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर कोई गलती नहीं की है।
हां, ये बात अलग है कि किसानों, बेरोजगारों सहित आमजन को सरकार बनने के बाद किसी तरह की राहत कांग्रेस नहीं दे पाई है। लेकिन, समय और सत्ता का सदुपयोग जरूर करने लग गई है। अरे जनाब! आपके लिए नहीं, खुद के लिए। आखिर सरकार में आने के लिए मेहनत जो की थी।
Write by Prakesh Jaiswal