हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने सत्ता में आने के लिए किसानों की कर्जमाफी का कार्ड खेला और तीन राज्यों में सत्ता हासिल करने में सफल रही। इसमें राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्य भी शामिल है। तीसरा राज्य छत्तीसगढ़ है। ये तीनों ही राज्य आर्थिक रूप से कृषि प्रधान है। राजस्थान में किसानों की संख्या करोड़ों में है। प्रदेश के करीब 50 लाख किसानों पर बैंकों का कर्जा है। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में सभी किसानों का ऋण माफ करने का वादा किया था। प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत के शपथ लेने के बाद कर्जमाफी की घोषणा भी की गई, लेकिन प्रदेश के सभी किसानों का कर्जमाफ नहीं होने से विरोध तेजी से बढ़ रहा है।
डिफाल्टर किसानों का कर्ज माफ करने के विरोध में कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
गहलोत सरकार द्वारा केवल डिफाल्टर किसानों का कर्ज माफ करने के विरोध में टोंक के किसानों ने बुधवार को मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। भारतीय किसान संघ टोंक जिलाध्यक्ष पोखरलाल जाट के साथ किसानों ने मांग की कि कर्जमाफी में हुई विसंगतियों को दूर कर नियमित किस्त चुका रहे किसानों को इसमें शामिल किया जाए। उन्होने ज्ञापन में बताया कि राज्य सरकार की ओर की गई इस तरह कर्जमाफी से किसानों में अलग तरह की परिपाटी शुरू हो जाएगी और जो किसान ऋण की नियमित किश्त दे रहे हैं वह भी डिफाल्टर बनने लग जाएंगे।
टोंक जिले के किसानों का आरोप हैं कि ऋणमाफी किसानों की समस्या का स्थायी समाधान नही हैं। किसानों को उनकी लागत का पूरा मूल्य मिलेगा तो उन्हे कर्जमाफी की जरूरत ही नही पड़ेगी। बद्रीलाल जाट, मुकेश चौधरी, गिर्राज सैनी, रामदेव गुर्जर, रामकिशन धाकड़, सुरेश कुमार जांगिड़ आदि ने बताया कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान दस दिन में प्रदेश के सभी किसानों का पूरा कर्ज माफ करने के वादा किया था। चुनाव नतीजों के बाद मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह हुआ। इसके बाद किसानों के कर्जमाफ की घोषणा हुयी।
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नियमित किस्त चुकाने वाले किसान गहलोत सरकार से नाराज
हाल ही में राजस्थान में भी मध्यप्रदेश की तर्ज पर कांग्रेस सरकार ने किसानों के 2 लाख तक के कर्ज माफ कर दिए थे। लेकिन सहकारी बैंकों का बकाया अल्पकालीन फसली ऋण के अलावा राष्ट्रीयकृत, अधिसूचित बैंक व क्षेत्रिय ग्रामीणों बैंकों में किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत लिए गए फसली ऋण में से 30 नवम्बर, 2018 तक डिफाल्टर घोषित किए गए किसानों का कर्जमाफ किए जाने की गहलोत सरकार ने घोषणा की है। जिससें सिर्फ डिफाल्टर किसानों के ही कर्जमाफ किए जाने पर नियमित किस्त चुकाने वाले किसान खुद के साथ बड़ा धोखा हुआ महसूस कर रहे हैं। इस वजह से किसानों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कर्जमाफी की विसंगतियों को दूर कर सभी सामान्य किसानों के ऋण भी माफ करने की मांग की है। टोंक के साथ ही प्रदेशभर के किसानों ने भी इस तरह की मांग करना शुरू कर दिया है। जिससे निपटने के लिए गहलोत सरकार को घोषणा करनी पड़ सकती है।