राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजों में भले ही कांग्रेस काफी संघर्ष के बाद बहुमत का आंकड़ा छू पाने में कामयाब हो पायी है, लेकिन अभी भी ‘राजतिलक’ करने में कांग्रेसी नेताओं के पसीने छूट रहे हैं। चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस में असल माथापच्ची तो अब शुरु हुई है। नतीजों से स्पष्ट है कि सत्ता विरोधी लहर के सहारे कांग्रेस जहां बीजेपी को करारी शिकस्त देने की जो उम्मीद कर रही थी, उस पर पानी फिरता हुआ नजर आया है। बीजेपी और कांग्रेस की सीटों में ज्यादा अंतर नहीं है। कांग्रेस बमुश्किल से 100 सीटें लाने में सफल हो पाई है जबकि भाजपा 73 सीटों के साथ मजबूत विपक्ष के तौर पर उभरी है।
सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि आखिरकार राजस्थान में सत्ता की बागडोर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत संभालेंगे या कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट? कांग्रेस हाईकमान के लिए सबसे बड़ी मुसीबत है कि आखिर वह किसे मुख्यमंत्री का ताज पहनाएगी। सीएम पद के लिए दोनों ही बड़े नेता व उनके समर्थक जोरों-शोरों से अपना-अपना दावा कर रहे हैं। अशोक गहलोत व सचिन पायलट भी कई बार कह चुके हैं कि जो पार्टी आलाकमान तय करेंगे, वे उस जिम्मेदारी को निभाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। लेकिन बहुमत के बावजूद कांग्रेस के लिए सीएम की राह अभी काफी कठिन नजर आ रही है। जो भी हो राजस्थान में सचिन पायलट या अशोक गहलोत में से किसी एक को सीएम के लिए चुनना कांग्रेस के लिए काफी मुश्किल है।
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