राजस्थान में युगों-युगों से चली आ रही सरकार बदलने की ये परंपरा, जिसे ना अशोक गहलोत बदल पाए ना नरेंद्र मोदी। राजस्थान के संदर्भ में एक युग की समय सीमा पांच साल तय की गयी है और इन बदलते हुए युगों की शुरुआत होती है, वर्ष 1993 की तारीख़ दिसंबर 4 से जब भारतीय जनता पार्टी के भैरोंसिंह शेखावत लगातार दूसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे। ये वो आखरी विधानसभा चुनाव थे, जब राजस्थान की जनता ने किसी पार्टी को एक के बाद एक दोबारा सरकार बनाने का मौका दिया था। इसके बाद 25 साल गुजर चुके हैं और 5 विधानसभा चुनाव। लेकिन कोई भी पार्टी लगातार दो बार अपनी सरकार नहीं बना सकी और समय के साथ-साथ ये सरकार बदलने की आदत राजस्थान की परंपरा बनती चली गयी।
आज एक बार फिर राजस्थान में सरकार बदल गयी है। भारतीय जनता पार्टी के पांच साल के सफल कार्यकाल के बावजूद कांग्रेस पार्टी अपनी सरकार बनाने में सफल हो गयी है। अब आप सोच रहे होंगे कि हमने भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल को सफल क्यों बताया जबकि पार्टी तो चुनाव हार गयी। तो देखिये चुनाव हारना और सरकार चलाने में असफल होना दोनो अलग-अलग पहलू हो सकते हैं। भाजपा सरकार ने पिछले पांच सालों में कई ऐसी योजनाएं चलाई जिनको वैश्विक स्तर पर सराहा गया। सरकार ने ज़मीनी स्तर पर भी कार्य किये। उसी की बदौलत आज भाजपा 73 सीटों के साथ एक मज़बूत विपक्ष के रूप में कांग्रेस के सामने विधनसभा में कड़ी चुनौती पेश करेगी। अब असफलता का उदाहरण भी समझ लो। साल 2008 में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो कांग्रेस को 96 सीटें मिली थीं और कांग्रेस ने 5 विधायकों के साथ गठबंधन कर सरकार बनायी थी। लेकिन पांच साल बाद जब 2013 में चुनाव हुए तो कांग्रेस मात्र 21 सीटों पर सिमट कर रह गयी थी। इसका सीधा मतलब था कि कांग्रेस सरकार अपने कार्यकाल में पूरी तरह असफल रही।
अब एक बार फिर जनता ने कांग्रेस को सेवा का मौका दिया है। लेकिन कांग्रेस के घोषणा पत्र को देखते हुए लगता है, कि जिस तरह के वादे कांग्रेस के जन-घोषणा पत्र में किये गए हैं। क्या वाकयी में कांग्रेस सरकार उन वादों को पूरा कर पायेगी? जबकि कांग्रेस ने किये गए वादों को लेकर कोई ठोस रणनीति स्पष्ट नहीं की। ख़ैर रणनीति तो बाद में भी बनायी जा सकती है। लेकिन फ़िलहाल तो सोचने वाली बात है, कहीं कांग्रेस ने सरकार बनाने की भावनाओं में बह कर खोखले वादे तो नहीं कर दिए। जो उनके ही गले की फांस बनकर रह जाये। क्योंकि जनता ने कांग्रेस के वादों में आकर सरकार तो बनवा दी। मगर…, अगर! कांग्रेस ने अपने वादे पूरे नहीं किये तो जनता इनको अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही सत्ता से बेदखल कर सकती है। क्योंकि राजस्थान की जनता अब आम जनता नहीं रही। राजस्थान के लोग अब “Smart People” हो चुके हैं।
ऐसे में कांग्रेस के सामने अगले पांच साल एक समझदार जनता और मजबूत विपक्ष में रूप में बहुत बड़ी चुनौती रहने वाली है। लेकिन फ़िलहाल तो कांग्रेस के सामने जो सबसे बडी चुनौती है, मुख़्यमंत्री पद का उम्मीदवार। किसे बनाये? किसे नहीं बनाये? स्थिति बड़ी असमंजस वाली हो रखी है। और ये कांग्रेस की आला कमान, वरिष्ठ नेता, सभी छोटे-मोटे नेता और कार्यकर्तओं के लिए माथापच्ची का विषय बना हुआ है। सुबह से अब तक कांग्रेस कार्यालय में बैठकों के दौर चल रहा है। गुप्त मंत्रणा की जा रही है। नवचयनित विधायकों से रायशुमारी की जा रही। लेकिन कोई भी नेता अभी तक ये साफ़ करने के लिए राजी नहीं हो पा रहा है कि किसको मुख्यमंत्री बनाया जाये। उसका उसका फैसला आना अभी बाकि है।
कांग्रेस के शब्दों में कहा जाये तो “ये ज़रूरी नहीं कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा?” उससे ज्यादा ज़रूरी ये है कि कांग्रेस अपने किये हुए वादे पूरे करें। आने वाले दस दिनों में किसानों की सम्पूर्ण क़र्ज़ माफ़ी हो। प्रदेश के सभी युवाओं को रोजगार दिया जाये। किसानों को फसल का सही समर्थन मूल्य दिया जाये। पैट्रोल डीज़ल के भाव 50 रूपये प्रति लीटर से कम हो। रसोई गैस की कीमत 400 रूपये प्रति सिलेंडर की जाये। प्रदेश में कोई भी जुर्म, अत्याचार, चोरी और दुष्कर्म जैसी घटना नहीं होनी चाहिए। भरतुपर, डूंगरपुर, झालावाड़, और झुंझुनू में मोबाइल की फ़ैक्टरी लगायी जाये। विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, ललित मोदी और अनिल अम्बानी के जेबों से जनता के क्रमशः 9000 करोड़, 35000 करोड़, 45000 करोड़, 250 करोड़ और 30,000 करोड़ रुपये वापिस लाकर जनता के बैंक खतों में डाला जाये। अगर कांग्रेस सरकार ये सब करने में सफल हो गयी तो, कांग्रेस सरकार एक सफल सरकार कहलाएगी नहीं तो पांच साल बाद ये भी फ़ैल हो जाएगी।
अंत में यही कहेंगे की हम तो पूरी आशा करते हैं कि कांग्रेस अपने वायदों को पूरा करे और एक कामयाब सरकार के रूप मे मिसाल पेश करें। लेकिन फिर दिल में रह रह कर एक ही बात आती है। अगर कांग्रेस अपने वचन पत्र पर अटल रही तो राजस्थान की जनता की तो ज़िन्दगी बदल जाएगी। क्योंकि फिर तो किसान ऑडी से चलेगा, बेरोजगार ढूढ़ने से नही मिलेगा, महिलाएं रात भर घूम सकेंगी, कांग्रेस की सरकार है तो बेरोजगार नागरिक अकेले बाहर ना निकले, नही तो उन्हें पकड़ कर जबर्दस्ती सरकारी नौकरी दे दी जाएगी।
Source: Mahendra Verma