हाल ही में मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा पर जोधपुर के पीपाड़ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के कुछ उपद्रवी कार्यकर्ताओं ने पत्थरबाजी की और विपक्ष के समर्थन में नारेबाजी की। हालांकि कांग्रेस के सभी नेताओं ने इसकी जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया है लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री अशोक गहलोत के पक्ष में ‘गहलोत जिंदाबाद’ के नारे इस बात को साफ कर देते हैं कि विपक्ष इस बार लोगों के वोटों से नहीं बल्कि उन्हें चोट पहुंचाकर विधानसभा चुनाव जीतने की कोशिशों में लगा हुआ है।
कहते हैं कि सत्ता, तख्त और राजनीति में सब कुछ जायज है लेकिन फिर भी हिंसा के लिए यहां कोई स्थान नहीं है। खासतौर पर राजस्थान की राजनीति में उठा-पटक तो काफी है लेकिन हिंसा…कभी नहीं। हर बार की तरह राजनीति में सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक और आरोप कोई नई बात नहीं परन्तु इस बार चुनावी राजनीति की रणभूमि में आरोप-प्रत्यारोप की रणवेदी के बीच हिंसा का यह नंगा नाच किसी ओर ही प्रकार की राजनीति की ओर इशारा करती प्रतीत हो रही है। प्रदेश की जनता पर कमजोर होती पकड़ के चलते इस तरह के ओछे हथकंडे अपनाने से राजनीति ही नहीं, जनता की नजरों में भी पाक-साफ हो पाना मुमकिन नहीं है।
इतना होने के बाद भी दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच गर्मा-गर्मी होने से बची रही, यह सुकून की बात कही जा सकती है। हिंसा व पत्थरबाजी के घोड़े पर सवार कांग्रेस का यह पहलू भाजपा नेताओं सहित आम जनता को भी नागवार गुजरेगा, इसमें लेश मात्र भी संयश नहीं है। सत्ता का क्या है, यह तो आती-जाती रहती है लेकिन इस तरह का दुष्कृत्य राजनीति में कभी-कभार ही देखने को मिलता है। राजस्थान कांग्रेस के साधक सचिन पायलट और सारथी अशोक गहलोत भले ही लाख बहानों के बाण छोड़े लेकिन उन्होंने यह बात तो साबित कर ही दी है कि राजनीति की चौसर पर पर सब कुछ जायज है….शायद हिंसा भी।
Read more: भाजपा ने राजस्थान गौरव यात्रा पर पथराव का जिम्मेदार कांग्रेस को बताया, विपक्ष ने किया खंडन