राजस्थान में आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों के लिए जल्दी एक बड़ी राहत वाली खबर आ सकती है। आने वाले कुछ दिनों में परीक्षार्थियों को धार्मिक आस्था से जुड़े मंगलसूत्र, पगड़ी, कृपाण और कड़ा जैसे प्रतीक चिन्ह नहीं उतारने पड़ेंगे। सोमवार को सचिवालय में सिख समाज के प्रतिनिधिमंडल की गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया से हुई मुलाकात में इसके संकेत मिले हैं। इससे पहले पिछली कुछ प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए धार्मिक आस्था से जुड़ी निशानियों के साथ कानों के टॉप्स, हेयर बैंड, घड़ी, अंगुठी आदि पहनकर आने पर रोक लगी हुई थी। ऐसे में लाखों परीक्षार्थियों को परीक्षा केन्द्रों पर खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
आज सिख समाज के प्रतिनिधिमंडल ने गृहमंत्री से मुलाकात कर धर्मों के प्रतीक चिन्हों को भी उतरवाने पर कड़ी नाराजगी जताते हुए मांग पत्र के जरिए कहा कि परीक्षाओं में सिखों के धार्मिक प्रतीक चिन्हों की बेअदबी हो रही है। परीक्षा में भाग लेने वाले छात्रों को धार्मिक चिन्हों को उतारने के लिए बाध्य किया जा रहा है। हिंदू महिलाओं के मंगलसूत्र तक उतरवाएं गए हैं जो गलत है।
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गृहमंत्री कटारिया ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया है कि इस संबंध में संशोधन आदेश निकाला जाएगा। प्रतिनिधिमंडल के अनुसार, उन्होंने यह भी आश्वासन दिया है कि आगामी 19 अगस्त को होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं से पहले संशोधन आदेश निकालेंगे। उसमें किसी को भी अपने धर्म से जुड़ी हुई चीज को उतारने की जरूरत नहीं होगी।
बता दें, हाल में आरएएस प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेने गई अलवर की जिला प्रमुख रेखा राजू यादव को मंगलसूत्र उतारने के लिए कहा गया था। इसपर उन्होंने मंगलसूत्र को अपने सुहाग की निशानी बताते हुए उसे उतारने से इंकार कर दिया और परीक्षा दिए बिना ही लौट आई। इससे पहले एक सिख छात्र को कड़ा पहनने की वजह से प्रतियोगी परीक्षा देने से रोक दिया गया था। तभी से यह मामला तूल पकड़ने लगा है।
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