जिस तरह की तेज गर्मी पड़ रही है, उससे तो ऐसा ही लगता है कि सूरज की किरणे झुलसा कर ही मानेगी। लेकिन राजस्थान का बांसवाड़ा जिला एक ऐसी मिसाल है जहां सूरज की किरणों का भी बखूबी उपयोग किया जाता है। सूरज की इन्हीं तेज और गर्म किरणों का इस्तेमाल कर यहां के लोगों को पीने का शुद्ध पानी मिलता है। राजस्थान सरकार के सौजन्य और प्रयासों का ही नतीजा है कि इस जिले के लोगों को पीने के लिए साफ पानी नसीब हो रहा है।
सौर ऊर्जा से संचालित हो रहे हैं बोरवेल प्लांट
असल में बांसवाड़ा एक जनजाति बहुल जिला है जहां जिले की बिखरी बस्ती, मजरें और ढाणियों में पीने के लिए साफ पानी की उपलब्धता नहीं है। इसलिए प्रदेश सरकार के निर्देश पर जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने जिले की चुनिंदा 25 ढाणियों में सौर ऊर्जा से संचालित सोलर बोरवेल प्लान्ट (सोलर पनघट) को स्थापित किया है। साथ ही गुणवत्ता प्रभावित 189 समस्याग्रस्त मजरें-ढाणियों के लिए 189 सोलर ऊर्जा से संचालित सोलर डिफ्लोरिडेशन यूनिट प्लान्ट की स्थापना भी की गई है।
जिले के जिन क्षेत्रों में जहां भू-जल स्तर अधिक है एवं भू-जल गुणवत्ता प्रभावित नहीं है, सौर ऊर्जा से संचालित बोरवेल प्लांट की स्थापना की गई है। सोलर बोरवेल प्लान्ट के अंर्तगत फोटोवोल्टिक सैल पैनल, सौर ऊर्जा से संचालित पम्प मोटर एवं पानी भरने के लिए 5000 अथवा 2000 लीटर के पी.वी.सी टैंक की स्थापना की गई है।
कैसे काम करती है यह तकनीक
सूर्य की किरणें सोलर पैनल पर पडती है तो पैनल में लगे फोटोवोल्टिक सैल सूर्य की किरणों को करन्ट में बदल देते है, जिससे बोरवैल में स्थापित सबमर्सिबल पम्प मोटर चालू हो जाती है एवं टंकी को भरकर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाता है। जिन क्षेत्रों में भू-जल में रासायनिक अशुुद्धि के रुप में फ्लोराईड है, ऐसे क्षेत्रों में सोलर ऊर्जा से संचालित सोलर डिफ्लोरिडेशन यूनिट प्लान्ट स्थापित किए गए हैं जिसमें ग्रामवासियों को पी.एस.पी के माध्यम से फ्लोराईड रहित शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाता है।
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