वह अजर अमरता का गौरव, वह मानवता का विजय तूर्य।
आदर्शों के दुर्गम पथ को, आलोकित करता हुआ सूर्य।।
मेवाड़ की धरती को मुगलों के आतंक से बचाने वाले ऐसे वीर सम्राट, शूरवीर, राष्ट्रगौरव, पराक्रमी, साहसी, राष्ट्रभक्त मेवाड़ के वीर योद्धा महाराणा प्रताप को शत्-शत् नमन। 9 मई को महाराणा प्रताप की जयंती है। महाराणा प्रताप जयंती विक्रमी संवत् कैलेंडर के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। हालांकि उनका राजसी शासन केवल 29 वर्ष रहा लेकिन महाराणा प्रताण एक ऐसे योद्वा थे जिन्हें मुगलों के आगे झुकना मंजूर नहीं था। महाराणा प्रताण ने अपनी छोटी-सी सेना के दम पर शत्रुओं को नाकों चने चबवा दिए थे।
आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ खास जानकारी
- महाराणा प्रताप का जन्म राजस्थान के मेवाड़ में कुम्भलगढ़ में सिसोदिया राजवंश के महाराणा उदयसिंह एवं माता राणी जीवत कंवर के घर 1540 में हुआ था। उनका नाम इतिहास में वीरता और दृढ़ प्रण के लिये अमर है।
- महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से पुकारा जाता था। महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक गोगुंदा में हुआ था।
- मेवाड़ को जीतने के लिए अकबर ने भी सभी प्रयास किए। महाराणा प्रताप ने भी अकबर की अधीनता को स्वीकार नहीं की। उन्होंने कई वर्षों तक मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष किया और घास की रोटियां भी खाई।
- सन् 1576 के हल्दीघाटी युद्ध में करीब बीस हजार राजपूतों को साथ लेकर महाराणा प्रताप ने मुगल सरदार राजा मानसिंह के अस्सी हजार की सेना का सामना किया। यह युद्ध केवल एक दिन चला परंतु इसमें सत्रह हजार लोग मारे गए। हालांकि इस युद्ध में न महाराणा प्रताप की हार हुई और न ही अकबर की जीत।
- महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था, जो काफी तेज दौड़ता था. अपने राजा को बचाने के लिए वह 26 फीट लंबे नाले के ऊपर से कूद गया था। यहां चेतक का एक मंदिर भी बना है जो आज भी हल्दीघाटी में सुरक्षित है।
- उनकी मृत्यु 29 जनवरी, 1597 में हुई थी। महाराणा प्रताप की तलवार, कवच उदयपुर राज घराने के म्यूजियम में आज भी सुरक्षित रखी हुई है।
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