राजस्थान की मरुभूमि से निकला एक सितारा न केवल बॉलीवुड बल्कि हॉलीवुड इंडस्ट्री में भी प्रदेश का परचम लहरा रहा है। इनकी एक्टिंग स्किल्स इतनी जबरदस्त है कि एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के सुपरस्टार इनके सामने बौने नज़र आते हैं। बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड और दुनियाभर के फिल्म क्रिटिक्स इनकी अभिनय क्षमता के बारे में इतना कह चुके हैं कि शब्दों में बयां करना थोड़ा मुश्किल है। इनकी एक्टिंग के मुरीद बड़े लोगों की लिस्ट बहुत लंबी है। यह सदियों का नायक आज अपना जन्मदिन मना रहा है। जी हां, हम बात कर रहे हैं सुपर टैलेंटेड, मोस्ट वर्सेटाइल और पावरफुल एक्टर इरफ़ान खान की। आइये जानते हैं उनके 50वें बर्थडे के अवसर पर उनके बारे में थोड़ा संक्षिप्त में लेकिन प्रेरणादायक बहुत कुछ…
इरफ़ान खान के शुरुआती जीवन का एक परिचय
फिल्म इंडस्ट्री को अपने रंग में ढ़लने पर मजबूर करने वाले इरफ़ान का पूरा नाम साहबजादे इरफान अली खान है। इरफ़ान का जन्म 7 जनवरी, 1968 को राजस्थान में नवाबों का शहर के नाम से प्रसिद्ध टोंक जिले के ख़जुरिया गांव में एक जमींदार, हाकिम परिवार में हुआ। इरफान के पिता टायर का बिजनेस चलाते थे। बाद में ये परिवार के साथ जयपुर शिफ्ट हो गए। इरफ़ान ने अपनी स्कूली और कॉलेज शिक्षा जयपुर से की। इसके बाद ये एक्टिंग का जज़्बा और जूनून के साथ नेशनल स्कूल आॅफ ड्रामा यानि एनएसडी, दिल्ली में प्रवेश के लिए पहुंच गए।
एनएसडी में पहली बार में प्रवेश पाना मुश्किल है लेकिन इरफ़ान को पहली बार में ही एनएसडी में प्रवेश मिल गया। हालांकि, इरफान को एनएसडी में प्रवेश के लिए झूठ बोलनी पड़ी। एनएसडी के चयनकर्ताओं को इरफ़ान में कुछ ऐसा दिखा कि उन्होंने पहली बार में ही प्रवेश दे दिया। झूठ ये थी कि एनएसडी में प्रवेश के लिए कम से कम 10 ड्रामा नाटक किए होने चाहिए, इरफ़ान को यह अनुभव नहीं था, उन्होंने एनएसडी के टीचर्स को अपने हिसाब से नाम गिनवा दिए थे। हालांकि, उस समय कैमरा या मोबाइल की व्यवस्था नहीं होती थी तो उन्हें सबूत देने की कोई ज़रुरत नहीं थीं।
इरफ़ान का फिल्मी करियर और स्ट्रगल: एनएसडी से पास आउट होने के बाद इरफ़ान की राह इतनी आसान नहीं रही, और उन्हें लंबा स्ट्रगल करना पड़ा। इरफान में वो जज़्बा था कि लंबा स्ट्रगल करके अपनी अभिनय क्षमताओं को तराशकर एक्टिंग दुनिया में खुद को एक नायाब बना दिया। इरफान ने विश्वभर के लोगों के उस मिथक को तोड़ा है जिसके बारे में कहा जाता था कि सफल अभिनेता बनने के लिए गुड लुक यानि अच्छा दिखना जरुरी है। इरफ़ान ने अपने अभिनय कौशल से दिखा दिया कि गुड लुक सफलता की कोई गारंटी नहीं होता।
इरफान 1985—86 में एनएसडी से ड्रामा में एमए की डिग्री करके मुंबई पहुंच गए। यहां इन्होंने करियर की शुरूआत में ‘चाणक्य, भारत की खोज, सारा जहां हमारा, बनेगी अपनी बात, चंद्रकांता, अणुगूंज, श्रीकांत, स्टार बेस्टसेलर्स एंड स्पर्श’ जैसे टीवी सीरियल्स में छोटी—छोटी भूमिकाएं निभाई। इसके अलावा इरफान ‘डर’ नामक सीरिज में मुख्य विलेन के किरदार में नजर आए। इरफान ने कई प्रसिद्ध प्ले में भी काम किया है। एक प्ले में इनके द्वारा निभाए गए प्रसिद्ध उर्दू क्रांतिकारी कवि मख़दूम मोहिउद्दीन का पात्र काफी फेमस है।
इरफ़ान को 1988 में मीरा नायर ने ‘सलाम बाॅम्बे’ फिल्म में पहला कैमियो रोल दिया लेकिन फाइनल एडिट में इनका रोल फिल्म से बाहर हो गया। तब तक इरफान ने लगातार टीवी सीरियल्स में काम करना जारी रखा। इसके बाद इन्होंने ‘एक डॉक्टर की मौत’ और ‘सच ए लॉन्ग जर्नी’ फिल्म में काम किया। इन फिल्मों में इनके काम की कुछ क्रिटिक्स द्वारा प्रशंसा की गई, लेकिन दुर्भाग्य से इनकी तरफ किसी का ध्यान नहीं गया और फिल्में भी असफल रहीं। वर्ष 2000 में इन्हें लंदन बेस्ड डायरेक्टर आसिफ कपाड़िया ने ‘द वॉरियर’ में काम करने का मौका दिया। 2001 में विभिन्न फिल्म फेस्टिवल्स में प्रदर्शित की गई इस फिल्म में लाफकेडिया वाॅरियर के प्रमुख किरदार की भूमिका निभाने के बाद इरफान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।
इरफान खान की बेहद सराहना पाने वाली फिल्में:
वर्ष 2003—04 में अश्विन कुमार की शॉर्ट फिल्म ‘रोड टू लद्दाख’ में इरफान ने मुख्य भूमिका निभाई। इस फिल्म और इरफान के काम को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में सराहना मिली। 2004 में इन्होंने शेक्सपियर के नॉवल ‘मैकबेथ’ का एडेपटेशन मकबूल में लीड रोल प्ले किया। यहां भी इरफान के काम में क्रिटिक्स द्वारा प्रशंसा मिली। इसके बाद ‘रोग, हासिल और तेलुगू फिल्म सैनिकुडू’ में अहम भूमिका निभाते हुए तारीफे पाईं।
2007 में आई ‘मेट्रो’ और ‘द नेमसेक’ ने इन्हें बॉलीवुड में वो पहचान दिला दी जिसके इरफान चाह रखते थे। इसके बाद ‘स्लमडॉग मिलेनियर’, ‘पान सिंह तोमर‘, ‘द लंचबॉक्स’ ‘किस्सा’, ‘तलवार’, ‘पीकू’ जैसी फिल्मों से जमकर सराहला बटोरी। 2017 में इरफान की तीन हिट फिल्में ‘मदारी’, ‘हिंदी मीडियम’ और ‘करीब—करीब सिंगल’ ने बॉक्स आॅफिस पर तो अच्छी कमाई की साथ ही क्रिटिक्स और लोगों से इरफ़ान को बेशुमार प्यार मिला। इरफान ने हॉलीवुड में ‘जूरासिक वल्र्ड, इंफर्नो’ सहित कई अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रोजेक्ट में भी सराहनीय काम किया है। 2018 में उनकी ‘कारवां’, ‘रायता’ और ‘पज़ल’ रिलीज होगी।
अवॉर्ड, उपलब्धियां और परिवार: इरफान को वैसे तो कई अवॉर्ड मिले हैं लेकिन उनके फिल्म पान सिंह तोमर के लिए बेस्ट एक्टर के तौर पर ‘नेशनल फिल्म अवॉर्ड‘ मिला। उनके काम को देखते हुए भारत सरकार ने इरफ़ान को 2011 में चौथे सबसे बड़े भारतीय अवॉर्ड ‘पद्मश्री‘ से नवाजा। 2015 में राजस्थान सरकार ने अपने कैंपेन ‘रिसर्जेंट राजस्थान‘ के लिए इरफान को ब्रांड एंबस्सेडर नियुक्त किया। इरफान ने अपनी एनएसडी बैच-मेट सुतापा सिकदर से 23 फरवरी, 1995 को विवाह किया। इनसे इन्हें दो बेटे बाबिल और अयान हुए हैं।
मां से सीखी इरफ़ान ने बिलीवर की परिभाषा: इरफान ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि, उनकी मां से उन्होंने बहुत कुछ सीखा है। उनकी मां के मुताबिक, बिलीवर वो होता है जहां आपकी जान और प्रॉपर्टी की गारंटी हो या सलामत रहे। इरफान के पिता उनके दिल के बहुत करीब थे। फिल्म पान सिंह तोमर में निभाए किरदार में वे बेहद अच्छा एक्ट इसलिए कर पाए क्योंकि बचपन में अपने पिता के साथ शिकार पर जाते थे। एक बार फिर से इरफान खान को ‘न्यूज आॅफ राजस्थान‘ टीम की ओर से जन्मदिवस मुबारक!!
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