वसुंधरा राजे सरकार ने प्रदेश में 55 पोक्सो अदालतों के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। यानि अब बच्चों के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न व दुष्कर्म के मामलों की सुनवाई के लिए प्रदेश में 56 पोक्सो अदालतें होंगी। हाल ही में इसके लिए उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे, जिसके बाद सरकार ने 55 पोक्सो अदालतों के लिए अधिसूचना जारी कर दी। इस के साथ ही उच्च न्यायालय प्रशासन ने भी इन सभी अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए हैं। हालांकि न्यायाधीशों को अभी इन अदालतों का अतिरिक्त प्रभार ही दिया गया है।
प्रदेश में बुधवार से अस्तित्व में आ गयी 55 पोक्सो अदालतें
राजस्थान सरकार द्वारा अधिसूचना जारी होने के साथ ही बुधवार से राज्य में 55 पोक्सो अदालतें अस्तित्व में आ गई हैं। गौरतलब है कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर प्रदेश के हर जिले में एक पोक्सो अदालत के गठन की मांग की गई थी, जिससे नाबालिगों के साथ होने वाले दुष्कर्म के मामलों की त्वरित सुनवाई की जा सके। इसके बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर 13 जुलाई, 2018 को जस्टिस केएस झवेरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में सरकार ने अदालतें खोलने पर अपनी सहमति दी थी। एक अगस्त को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रदेश में 55 पोक्सो कोर्ट खोलने की स्वीकृति जारी करते हुए इन अदालतों के लिए 660 पद भी सृजित किए थे।
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35 न्यायिक जिलों में एक-एक कोर्ट के अलावा खोली गईं 21 अतिरिक्त अदालतें
राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, 35 न्यायिक जिलों में एक-एक कोर्ट के अलावा 21 अतिरिक्त अदालतें खोली गईं है। जयपुर सिटी में 6, कोटा में 5, अलवर में 4, पाली में 3 जोधपुर, उदयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, बूंदी, बारां, झालावाड़ और भरतपुर में 2-2 अदालतें, वहीं टोंक, बांसवाड़ा, बीकानेर, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, दौसा, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, सिरोही, जालौर, जैसलमेर, झुंझुनूं, चूरू, सीकर, प्रतापगढ़, राजसमंद, मेड़ता, और बालोतरा में एक-एक अदालत खोली गईं है।