बीकानेर। ज्योतिषाचार्य, गणेशपंचांगकर्ता पंडित स्वर्गीय बाबू लाल किराडू शास्त्री ज्योतिष बोध संस्थान की ओर से शुक्रवार को रघुनाथ सर कुआं के पास स्थित रघुनाथ जी के मंदिर में 40 दिवसीय वैदिक संध्या, दुर्गा सप्तशती पाठ प्रशिक्षण शिविर शुरु हुआ। शिविर में प्रथम दिन 50 से अधिक बालकां व युवाओं ने पंजीयन करवाकर प्रशिक्षण शुरू किया।
मुख्य अतिथि उत्तम विवेकनाथ मठ के अधिष्ठाता प्रहलाद नाथ योगी थे। योगी जी कहा कि ब्राह्मण अपने ब्राह्मणत्व को कायम रखने के लिए सदाचारी, संस्कारी रहकर वेद, उपनिषद, संध्या वंदन, देव पूजन विधि का स्वयं प्रशिक्षण प्राप्त कर दूसरे बालकों व युवाओं को प्रशिक्षित करें। बीकानेर के महान पंडित स्वर्गीय बाबू लाल शास्त्री व उनके पुत्र वर्तमान गणेश पंचांगकर्ते पंडित राजेन्द्र किराडू ब्राह्मण बालकों को संध्या, वंदन, दुर्गा सप्तशती पाठ, गणेश सहित विभिन्न देवताओं के पूजन, संध्या वंदन और वैदिक ज्ञान के लिए समर्पित रहे है। पंडित राजेन्द्र किराडू ने बिना किसी सरकार के अर्थ सहयोग से वैदिक संध्या, दुर्गा सप्तशती का शिविर अपने पूर्वज पंडितों की निष्काम सेवा की प्रतिष्ठा में श्री वृद्धि की है।
राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के पूर्व अध्यक्ष, इतिहास विद्वान पंडित जानकी नारायण श्रीमाली ने कहा कि बीकानेर में अनादिकाल से अनेक पंडितों ने अपने वैदिक ज्ञान, ज्योतिष के कारण छोटी काशी के रूप में विख्यात है। बीकानेर के ब्राह्मणों बाल व युवा पीढ़ी के लिए वैदिक संध्या, दुर्गा सप्तशती प्रशिक्षण शिविर उपयोगी रहेगा। इसमें अधिकाधिक संख्या में भागीदारी आवश्यक है।
शिविर संयोजक पंडित राजेन्द्र किराडू ने बताया कि प्रशिक्षण शाम सात से आठ बजे तक नियमित 40 दिन चलेगा । इसमें यर्जुवेदी पंडित प्रहलाद व्यास मंत्रों का प्रयोग विधि सहित प्रशिक्षण देंगे। समय -समय पर शिविर में विद्वान पंडितों के व्याख्यान, महात्माओं के प्रवचन होंगे। शिविर में यज्ञोवा धारण किए ब्राह्मण बालक,युवा शहर के विभिन्न इलाकों से आकर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है। प्रशिक्षणार्थियों को संध्या-वंदन व दुर्गा सप्तशती की पुस्तक निःशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही है। शिविर में 151 बालक व युवाओं को प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है।
इस अवसर पर पंडित श्रीलाल किराडू, नारायण दत्त किराडू, श्री विद्या उपासक जुगल किशोर जोशी, पंडित श्याम व्यास, गोवर्धन किराडू, आशाराम किराडू, राजेश किराडू, मुरलीधर पुरोहित सहित अनेक वेद पाठी, ज्योतिषाचार्य, कर्मकांडी पंडित उपस्थित थे।