चिकित्सा सेवा से जुड़े कर्मचारियों व संबंधित लोगों का बेवजह हट और हड़ताल किसी भी तरह से खत्म होते नजर नहीं आ रहा है। कुछ महीनों पहले ही चिकित्सक और संघ से जुड़े सभी रेजिडेंट अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे। अब 108 एंबुलेंस कर्मियों ने अपनी मांगे मनवाने के लिए इसी हट का सहारा लिया है। राजस्थान में घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाने वाली 108 एंबुलेंस के पहिए सोमवार रात से थम गए हैं। वजह रही- 108 एंबुलेंस सेवा के कर्मचारी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं।
इस समय प्रदेश भर में करीब 1500 एंबुलेंस हैं जिनकी सेवाएं पिछले कुछ समय से बंद है। आज इस हड़ताल को पूरे 3 दिन हो चुके हैं और मरीजों की हालत खस्ताहाल है। उसके बाद भी इन कर्मियों के कानों में ज़ू तक नहीं रेंग रही है।
एक अनुमान के अनुसार प्रदेशभर में रोजाना करीब 3500 सड़क हादसे होते हैं। ऐसे गंभीर मरीजों को अस्पताल पहुंंचाने और आपातकालीन सेवाएं देने का दायित्व इन्हीं 108 एंबुलेंस सेवा और इससे जुड़े कर्मियों के कंधों पर है। यह सेवा ठप होने से अब गंभीर मरीजों की जान पर संकट गहराता जा रहा है।
हड़ताल की वजहों पर प्रकाश डालते हुए राजस्थान आपातकालीन एंबुलेंस कर्मचारी एकता यूनियन ने बताया है कि कंपनी पिछले 5 साल से कर्मचारियों का शोषण कर रही है। इससे पहले भी कर्मचारी कई बार अपनी पीड़ा बयान कर चुके हैं लेकिन न कंपनी ने सुनी न किसी अन्य ने। मजबूरन हड़ताल पर जाना पड़ा।
प्रदेश के मरीजों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए राजस्थान सरकार ने एंबुलेंस कर्मचारियों की मांगों लेकर गंभीरता दिखाई है। चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ की अध्यक्षता में सचिवालय में एक वार्ता का प्रस्ताव भी रखा गया है। उम्मीद है कि स्थिति बिगड़ने से पहले बात सुलझ जाएगी।
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