सियासत वाकई बेरहम है, यह बात पिछले 72 घंटों में और पुख्ता हो गई। प्रदेशभर में मौसम के कहर से हुई तबाही और 26 मौतों से पीड़ित परिवारों की न तो किसी प्रत्याशी ने सुध ली और न ही किसी मंत्री ने। मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री भी सभाओं में व्यस्त रहे। इस बीच, अधिकांश नेताओं के वही रटे-रटाए बयान आए। किसी ने कहा कि प्राकृतिक आपदा से दुख पहुंचा ताे किसी ने संवेदना जताई। काेई बाेला-व्यस्त हाेने के कारण नहीं जा सका। अब जरूर जाऊंगा।

प्रधानमंत्री मोदी के आलावा किसीभी पार्टी ने अभी तक कोई भी सहायता राशि पीड़ितो को नहीं दी है ,जो की काफी शर्मनाक है की चुनाव में कुर्सी का लालच कितना बड़ा होता है जो न पीड़ितो का संघान लेता है ,और प्रजा का तो सवाल ही पैदा नहीं होता !

26 मृतकाें में से अब भी 16 मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख की सहायता राशि के चेक का इंतजार है। इनके अलावा वे परिवार अलग हैं, जिनके आशियाने इस आपदा में उजड़ गए। फसल बर्बाद होने से चिंतित किसानों की पीड़ा सुनने भी अब तक कोई नहीं पहुंचा है। इस बीच, कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने दावा किया कि वे गुरुवार काे अलवर क्षेत्र के दाैरे पर थे और फसल खराबे का जायजा लिया।

झाड़ाेल विधायक बाबूलाल खराड़ी उदयपुर में दाे मृतकाें के घर सांत्वना देने पहुंचे। वे किसानाें से मिले। उन्हाेंने माना कि बहुत खराबा हुअा है। उन्हाेंने कहा कि सीएम के निर्देशानुसार पांचों क्रॉप इंश्योरेंस कंपनियों को नोटिस दे दिए गए हैं कि कलेक्टरों की तरफ से खराबे की रिपोर्ट आते ही तुरंत इंश्योरेंस का भुगतान किया जाए।

दो दिन में आंधी, बारिश और ओलों ने मचाई थी तबाही

मंगलवार और बुधवार काे प्रदेश के अधिकांश जिलाें में तेज अंधड़, बारिश-अाेलाें में 26 लाेगाें की जान चली गई। 22 लोग अस्पतालों में भर्ती हैं। कई मकानों की छतें उड़ गई। दीवारों में दरारें आ गईं। सबसे ज्यादा नुकसान उदयपुर में हुअा। यहां 5 लाेग मारे गए। जयपुर में 4 लाेगाें की माैत हुई। जगह-जगह मकान ढह गए। पेड़ उखड़ गए।

ऐसी ही आपदा में विधानसभा दाे दिन स्थगित हुई थी

12 से 15 मार्च, 2015 को बारिश-ओलों से 28 जिलों के 4247 गांव प्रभावित हुए थे। 13 जिलों में 25 लोगों की मौत हुई थी। विधायकों ने दो दिन विधानसभा की कार्रवाई रोककर प्रदेश में हुए नुकसान का जायजा लिया था।