राजस्थान के सबसे पुराने म्यूजियम जयपुर के अल्बर्ट हॉल में 2300 साल पुरानी एक डेडबॉडी रखी हुई है। ताज्जुब की बात है कि 130 सालों से यहां रखे होने के बाद भी यह आज भी पूरी तरह से सुरक्षित है। मिस्र से आए एक एक्सपर्ट दल ने इस बात की पुष्टि की है। हम बता कर रहे हैं अल्बर्ट हॉल म्यूजियम में रखी ‘ममी’ की जिसका नाम है ‘तुतु’। अल्बर्ट हॉल का इतिहास 130 साल पुराना है और उसी समय से यह ममी यहां रखी सहेजकर रखी हुई है। ममी की समय-समय पर एक्सपर्ट के जरिए जांच होती है। इसी कड़ी में मिस्र से आए दल ने इसका मुआयना किया और इसे पूरी तरह सुरक्षित बताया।
अल्बर्ट हॉल की सबसे ज्यादा देखी जाने वाली चीज है ममी
यूं तो अल्बर्ट हॉल अपनी वास्तुकला के साथ-साथ यहां रखी कई तरह की एतिहासिक वस्तुओं के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन जो चीज यहां सबसे ज्यादा देखी जाती है, वह है ममी। 322 ईसा पूर्व की यह ममी मिस्र के राजघराने के पुजारी परिवार की महिला तुतु की है। म्यूजियम में पहुंचने वाले लोग यहां मिस्र के प्राचीन इतिहास और मौत के बाद के रहस्यों के साथ हकीकत से पर्दा उठाते एक्सरे देख कर हैरान हैं। ममी से जुड़े रहस्यों की जानकारी को पर्यटक उतनी ही गहराई से पढ़ते हैं।
मिस्र के काहिरा से जयपुर लाया गया था तुतु को
इस ममी को 19वीं सदी के अंतिम दशक में मिस्र के काहिरा से जयपुर लाया गया था। यह अल्बर्ट म्यूजियम की स्थापना से यहां रखी हुई है। इसकी वर्तमान स्थिति का जायजा लेने के लिए 6 साल पहले एक्सरे किया गया था।
मृत्यु के बाद जीवन और पुनर्जन्म का प्रतीक
तुतु नामक महिला की संरक्षित ममी मिस्र के प्राचीन नगर पैनोपोलिस में अखमीन से प्राप्त हुई थी। यह 322 से 30 ईस्वी पूर्व के टौलोमाइक युग की बताई जाती है। यह महिला खेम नामक देव के उपासक पुरोहितों के परिवार की सदस्य थी। ममी की देह के ऊपरी आवरण पर प्राचीन मिस्र का पंखयुक्त पवित्र भृंग (गुबरैला) का प्रतीक अंकित है, जो मृत्यु के बाद जीवन और पुनर्जन्म का प्रतीक माना जाता है। पवित्र भृंग के दोनों ओर प्रमुख देव का शीर्ष तथा सूर्य के गोले को पकड़े श्येन पक्षी के रूप में होरस देवता का चित्र है।
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