जयपुर। राजस्थान में जब से कांग्रेस सरकार आई है तब से प्रदेश में अराजकता और उपद्रव मामलों में वृद्धि हुई है। इन दिनों अशोक गहलोत की नाकामी के परिणाम से पूरा राजस्थान आंदोलनों की आग में झुलस रहा है। प्रदेश में हाल ही डूंगरपुर उपद्रव मामला शांति नहीं हुआ और राज्य सरकार के सामने दूसरा आंदोलन खड़ा हो गया। जी हां, हम बात कर रहे है गुर्जर आंदोलन की। राज्य सरकार ने भले ही सरकारी नौकरियों में एमबीसी वर्ग को आरक्षण मामले पर सब कमिटी का पुनर्गठन कर दिया हो, लेकिन गुर्जर समाज इस कदम पर एकमत नहीं है। सरकार के रवैये पर समाज दो धड़ों में बंटा नज़र आ रहा है। एक धडा जहां सरकार के फैसले के पक्ष में है तो वहीं दूसरा धड़ा इसे सरकार की ओर से समाज को फिर से दिया ‘लॉलीपॉप’ मानते हुए आन्दोलन पर आमादा है।
सब कमेटी पुनर्गठन का कोई औचित्य नहीं
सरकार का विरोध जता रहे गुर्जर समाज के वर्ग की दलील है कि सरकार सब कमिटी का गठन करके मामले को और ज़्यादा खींचने की मंशा से काम कर रही है। जब सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम देकर पूर्व में हुए समझौतों की पालना और अन्य मांगे मनवाने के लिए चेता दिया गया था तो अब सब कमेटी के पुनर्गठन का क्या औचित्य रह गया? गुर्जर आरक्षण आन्दोलन समिति संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की अगुवाई वाला ये धड़ा अब भी मांगे मनवाने के लिए सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में है। समाज का ये वर्ग कभी भी आन्दोलन की रणनीति के अनुसार सडकों पर उतर सकता है जिससे मामला बिगड़ने का खतरा बना हुआ है।
हालात बिगड़े तो सरकार होगी जिम्मेदार
बैंसला ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द पूर्व में हुए समझौते के बिन्दुओं को लागू करे। साथ ही एमबीसी वर्ग को पूर्व की सरकारी नौकरियों के बैकलॉग भरने और प्रक्रियाधीन भर्तियों में चार प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था सुनिश्चित करे। वहीं मृतक गुर्जरों को मुआवजा, पुलिस में दर्ज मामलों को वापस लेने सहित अन्य मांगों को पूरा किया जाए। ऐसा जल्द नहीं हुआ तो प्रदेश में बिगड़े हालातों की ज़िम्मेदार सरकार ही होगी। सरकार के रवैये का विरोध जता रहे गुर्जर नेता व कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र विजय बैंसला का कहना है कि सरकार को 15 दिन में समझौते की पालना करनी थी, अब सब-कमिटी का पुनर्गठन कर देरी की जारी है। उन्होंने फिर से चेतावनी देते हुए कहा है कि अब समाज करेगा और दुनिया देखेगी।
डूंगरपुर उपद्रव: 250 लोग चिह्नित, कल 9 और मुकदमे दर्ज
डूंगरपुर में शिक्षक भर्ती में आरक्षण लागू करने की मांग पर शुरू हुई अराजकता के बाद बंद इंटरनेट सेवा मंगलवार को बहाल कर दी गई। सुरक्षा और अफवाहों से बचने के लिए यहां 4 दिन से इंटरनेट बंद था। फिलहाल, शहरी क्षेत्र में ही इंटरनेट सेवा को शुरू किया गया है। नेशनल हाइवे व दोवड़ा क्षेत्र में उपद्रव, आगजनी एवं पथराव करने के मामले में सोमवार रात तक 9 ओर मुकदमे दर्ज हुए। ऐसे में इस उपद्रव में अब तक दर्ज मुकदमों की संख्या 29 तक पहुंच गई है। बिछीवाड़ा व सदर थाने में केस दर्ज कराने के लिए लगातार पीड़ित पहुंच रहे हैं। किसी की बाइक तो किसी की कार आगजनी का शिकार हुई है। पुलिस की तरफ से कई नामजद लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। वहीं दूसरी ओर दोवड़ा थाना क्षेत्र के रणसागर के पास पथराव की घटना में पुलिस ने अब तक 250 लोगों को चिह्नित कर लिया है। इनकी जल्द गिरफ्तारी होगी।
करीब 250 करोड़ का नुकसान, होटलों और गाड़ियों में सबसे ज्यादा तोड़फोड़
शिक्षक भर्ती की मांग ने बिछीवाड़ा से लेकर खेरवाड़ा तक तीन दिन तक सुलगते रहे हाइवे पर करोड़ों रुपए का नुकसान कर दिया। इस नुकसान का मोटे तौर पर आंकलन करें तो 250 करोड़ रुपए के करीब माना जा रहा है, हालांकि, प्रशासनिक रिपोर्ट में इसका अनुमान और अधिक हो सकता है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि अभ्यर्थियों की मांग पर सहमति तो बन गई है, लेकिन करोड़ों रुपए के नुकसान पर बोलने के लिए कोई तैयार नहीं है। डूंगरपुर हाइवे पर 4 दिनों तक चले उपद्रव में सबसे ज्यादा तोड़फोड़ गाड़ियों और होटलों में हुई है। अभी तक पीड़ितों ने जो शिकायत की है उसके मुताबिक, अतिथि पैलेस होटल को 2.50 करोड़ रुपए, मारुति होटल को 2 करोड़ रुपए, नीलगगन होटल को पौने दो करोड़ रुपए और ग्रीनलैंड होटल को भारी नुकसान हुआ।