जयपुर। राजस्थान में चल रही राजनीतिक घमासान के बीच ईडी ने उर्वरक घाेटाले के 10 साल पुराने मामले में मुख्यमंत्री अशाेक गहलाेत के बड़े भाई अग्रसेन गहलोत के ठिकानों पर की गई कार्रवाई से हड़कंप मच गया। ईडी ने गहलोत के बड़े भाई अग्रसेन गहलोत के पावटा चौराहे पर स्थित दुकान और 9 मील पर स्थित उनके मकान सहित फार्म हाउस छापा मारा। अग्रसेन गहलोत के घर-दुकान सहित अन्य व्यापारियों के 6 ठिकानों पर छापे मारे। ईडी जिस मामले की जांच करने पहुंची है वह काफी पुराना है। गुजरात में गत विधानसभा चुनाव के दौरान गहलोत को घेरने के लिए बीजेपी ने इस उर्वरक घोटाले को उछाला था। ईडी ने अग्रसेन के अलावा प्रतापगढ़ में खाद-बीज व्यापारी अमृतलाल बंडी और धौलपुर में पुराने शहर स्थित सब्जीवाली गली में खाद-बीज व सर्राफा व्यापारी भाइयों अशोक अग्रवाल और हरि अग्रवाल के यहां भी छापेमारी की। व्यापारी अमृतलाल सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना के करीबी होने के साथ ही पीसीसी के सदस्य भी हैं।

ये है पूरा मामला
दरअसल साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की कमान अशोक गहलोत ने थाम रखी थी। उस समय बीजेपी ने गहलोत को निशाना बनाते हुए यह आरोप लगाया था कि वर्ष 2007 से 2009 के बीच राजस्थान में उर्वरक सब्सिडी में चोरी का एक बड़ा मामला हुआ था। उस समय अशोक गहलोत प्रदेश के सीएम थे और केंद्र में डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार थी। यह मामला कस्टम अधिकारियों के द्वारा की गई एक कार्रवाई में सामने आया था।

सीएम के बेटे वैभव गहलाेत के पार्टनर को ईडी का समन
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलाेत के बिजनेस पार्टनर रतनकांत शर्मा बुधवार को ईडी के समन के बावजूद हाजिर नहीं हुए। शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने मॉरिशस से 97 करोड़ रुपए के अवैध फंड लिए हैं। अब ईडी ने शर्मा को एक नया समन जारी कर पेश होने के लिए कहा है। बता दें कि ईडी ने सियासी घमासान के बीच रमनकांत के होटल सहित अन्य जगह कार्रवाई की थी। ईडी की ओर से उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है।

उर्वरक घरेलू खपत के लिए मान्य है
उर्वरक घरेलू खपत के लिए मान्य है और इसका निर्यात प्रतिबंधित है। आरोप लगाया गया था कि जो उर्वरक किसानों को सस्ती दर पर उपलब्ध कराया जाता है उसमें निजी कंपनियों को शामिल कर इसमें घोटाला किया गया है। इसके साथ ही यह आरोप भी था कि अग्रसेन गहलोत ने इंडियन पोटाश लिमिटेड से एमओपी खरीद कर किसानों को उर्वरक उपलब्ध नहीं कराया। इसके बजाय उन लोगों को बेच दिया जो इसका निर्यात करते हैं। इससे अग्रसेन गहलोत ने काफी पैसा कमाया।