उत्तर भारत के प्रसिद्ध कैलादेवी लक्खी मेले की बुधवार से शुरूआत हो गई है। 14 मार्च से शुरू हुआ यह मेला अगले 15 दिनों तक चलने वाला है। इस बार मेले में देशभर से करीब 50 लाख श्रद्धालु पहुंचने की संभावना है। मेले में हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित आस-पास के राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने पहुंचते हैं। मेले के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। सुरक्षा व्यवस्था के लिए 1250 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। इस बार मेले की ड्रोन कैमरों से भी निगरानी की जाएगी।
यातायात व्यवस्था के लिए रोडवेज ने लगाई 600 से अधिक बसें
मेले में भारी भीड़ को देखते हुए यातायात व्यवस्था के लिए 600 से अधिक रोडवेज की बसें लगाई गई हैं। यात्रियों की सुविधाओं के लिए खान-पान, चिकित्सा व ठहरने के लिए हिण्डौन और करौली में व्यवस्था की गई है। इसके अलावा 300 से अधिक सफाईकर्मी तैनात किए गए है। राजस्थान के करौली जिला मुख्यालय से दक्षिण दिशा की ओर 24 किलोमीटर की दूरी पर पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य त्रिकूट पर्वत पर कैला मैया विराजमान है। मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु विभिन्न राज्यों से पैदल पहुंचकर कैलामाता के दरबार में ढोक लगाकर मन्नत मांगते हैं।
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अपने भक्तों की सभी मन्नतें पूरी करती है कैला मैया
कैलादेवी भक्तों का मानना है कि कैला मैया उनकी मांगी गई हर मुराद पूरी करती है। बता दें, कैलादेवी मंदिर का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना है। धर्म ग्रंथों के अनुसार सती के अंग जहां-जहां गिरे वहीं एक शक्तिपीठ का उदगम हुआ। उन्हीं शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ कैलादेवी भी है। यहां माता कैलादेवी की मुख्य प्रतिमा के साथ मां चामुण्डा की प्रतिमा भी विराजमान है। कहा जाता है कि बाबा केदागिरी ने तपस्या के बाद माता के श्रीमुख की स्थापना इस शक्तिपीठ के रूप में की।