राजस्थान विधानसभा में हर पांच साल में कुछ नये तो कुछ पुराने विधायक जीतकर पहुंचते हैं। लेकिन राजनीति में कुछ ही नेता हैं जिन्हें याद किया जाता है और याद किया जाता रहेगा। अपने अच्छे और बुरे व्यवहार के कारण। आज बात एक ऐसे विधायक की जो अपनी ही पार्टी से अदावत करके निष्कासित है। और अदावत जनता-जर्नादन को लेकर नहीं बल्कि, अपने ऊपर लगे मुकदमों की वजह से। जो राजस्थान में तीसरे मोर्च का गठन कर सत्ता के शीर्ष पर जाने के ख्वाब देखता हैं, और सिमट जाता है महज दो सीटों पर। जो विपक्ष बनकर जनता की आवाज मुखर करने का दावा करता है लेकिन, न वो राम के साथ है न रावण के विरोध में…जी हां! हम बात कर रहे हैं ‘राजस्थान के बवाल, हनुमान बेनीवाल’ की। जो खुद को किसानों का मसीहा बनने का दावा करता है, और किसान रैली में हैलिकॉप्टर से जाता है।
हनुमान बेनीवाल नागौर के खींवसर से निर्दलीय विधायक हैं। मीडिया इन्हें ज्यादा तव्वजों नहीं देता है, ऐसा नहीं है कि कोई दुश्मनी है। लेकिन, हनुमान जी ऐसा कोई काम ना किए हैं और ना ही कर रहे हैं। तो मीडिया वाले भी क्या दिखाएं। कोई रैली हो या सभा हो और मीडिया उसे कवरेज ना दें तो जान को गोदम अलग है। विधायक जी के गुर्गे मीडिया संस्थानों में फोन कर करके उन्हें ट्रोल करते हैं। बेनीवाल साहब ने बकायदा इसके लिए एक आईटी सेल बना रखी है। हालांकि, हनुमान बेनीवाल मीडिया में बने रहने के लिए समय समय पर बयानबाजी करते रहते हैं। और बयानबाजी भी ऐसी, कि न भाषा पर नियंत्रण और न ही शब्दों पर। उनकी कोशिश रहती है कि ऐसा कुछ बोला जाए कि अगले दिन समाचार पत्रों की सुर्खियां बन जाएं।
कुछ ऐसा ही हनुमान बेनीवाल ने कल राज्यपाल कल्याण सिंह के अभिभाषण के दौरान कहा है। बेनीवाल ने राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान उनके स्वास्थ्य को लेकर अमर्यादित टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘आपको सीएम का नाम तो याद रहता नहीं, टाइम खराब करने के बजाय अपना इलाज कराएं।’ ऐसा पहली बार हुआ है कि अभिभाषण के दौरान बदजुबानी की गई हो। लेकिन, जो बेनीवाल कर रहे हैं वो पहली बार नहीं है। हनुमान बेनीवाल ने साल 2011 में अपनी पार्टी की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे को लेकर भी अमर्यादित भाषणबाजी की थी जिसके चलते पार्टी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया और इसके सात दिन बाद उन्हें भाजपा से निष्कासित कर दिया गया।
इस बार भी बेनीवाल सुर्खियां बटोरने के लिए ऐसा कर रहे हैं। पहले दिन शपथ के दौरान उनके समर्थकों ने दर्शकदीर्घा से तालियां बजाई तो दूसरे दिन वो डीजीपी से उनके ऑफिस में मिले और बाहर निकलने के बाद इंतजार कराने का आरोप लगाया। तीसरे दिन क्या हुआ वो हम आपको बता ही चुके हैं। हनुमान जी का 2011 का सपना पिछले साल 2018 में भले ही पूरा नहीं हो पाया है। लेकिन, आप तनिक चिंता मत कीजिए उनका चुनाव चिन्ह बोतल है।
Source: Prakash