India Against Cancer
हर प्रकार के कैंसर से लड़ेगा इंडिया

क्या आपने वो विज्ञापन देखा है? मैं भी कैसी बात कर रहा हूँ? बेशक देखा होगा और जरूर देखा होगा।

“इस शहर को ये हुआ क्या, कहीं राख है तो कहीं धुंआ-धुंआ,

क्यूँ कोई कुछ नहीं बोलता, चुपचाप धुंए को क्यूँ झेलता,

हो गयी बर्दाश्त की अब इंतहा, बुझे सिगरेट-बीड़ी दिखे जलती जहाँ।

पब्लिक प्लेस पर सिगरेट पीना मना है।

धूम्रपान ना करें, ना करने दें।

धूम्रपान पड़ेगा महंगा।”

मतबल ये विज्ञापन धूम्रपान को रोकने के लिए बनाया गया था। क्योंकि धूम्रपान करने से कर्क रोग होता है। और आज के वक़्त में कैंसर, देश ही नहीं दुनिया की भी एक भयावह बीमारी बन चुकी है। अकेले हिंदुस्तान में 25 लाख कैंसर रोगी हैं। यानी दूसरी सबसे बड़ी बीमारी। और ये बीमारी, बीमारी नहीं अपने आप में एक ब्रह्माण्ड है। जिसका ना तो कोई निश्चित “आदि” और ना ही अंत। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि एक रिचर्स के मुताबिक कैंसर होने का कोई एक कारण नहीं है। और कैंसर किसी भी कारण से हो सकता है। इस मामले में चिकित्साविदों के अपने अलग-अलग मत हैं। कुल मिलकर, कैंसर कभी भी, किसी को भी और शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है।

आंकड़े क्या कहते हैं?

“राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम एवं अनुसंधान संसथान” की आधिकारिक वेबसाइट कैंसर इंडियाडॉटओआरजीडॉटइन के अनुसार देश में 25 लाख कैंसर रोगी है। जिनमें 30% को मुँह का कैंसर है। कैंसर से मरने वालों में 22% लोग केवल तम्बाकू खाने वाले हैं। 33 हज़ार मौतें सर्वाइकल कैंसर से होती हैं। कैंसर रोगियों में 5-10% ऐसे भी हैं, जो वंशानुगतता और जींस में बदलाब की वजह से कैंसर के शिकार हैं। मानव शरीर की मूल इकाई, कोशिका में अनियमित रूप से वृद्धि होने पर वहां गांठ बन जाती है, जो कैंसर होती है। कैंसर कई प्रकार के हो सकते हैं। जिनमें मुहं का कैंसर, फेंफड़ों का कैंसर, पेट का कैंसर, प्रोटेस्ट कैंसर, दिमाग़ का कैंस, स्तन कैंसर, ब्लड कैंसर, बोन कैंसर प्रमुख हैं। पुरुषों में फेंफड़ों, मुहं, गले, आंत, आमाशय व महिलाओं में बच्चेदानी, ब्रेस्ट, गालब्लैडर तथा भोजन की नली का कैंसर मुख्य रूप से होता है।

बचाव ही सबसे बड़ा उपचार

कैंसर ही नहीं जीवन की किसी भी समस्या का सबसे कारगर उपचार तो उससे बचाव ही है। विज्ञान और चिकित्सा ने तकनीकी रूप से इतनी तरक्की तो कर ली कि किसी भी प्रकार के कैंसर का, किसी भी स्टेज पर इलाज काफी हद तक संभव है। फिर भी हमे अपने आपको इससे बचाकर ही रखना चाहिए। लेकिन यदि हो जाये तो उचित इलाज कैंसर से निजात दिला सकता है। इसके साथ ही हमें अपनी जीवनशैली को भी ठीक रखने की जरुरत है। क्योंकि CANCERINDIA के अनुसार ही देश में हर साल कैंसर के दस लाख मामले सामने आते हैं। जिन्हें जागरूकता, और टीकाकरण से रोका जा सकता है। इसलिए कैंसर से सजग रहो इंडिया! और जीतो इंडिया! क्योंकि आज ऐसा समय हैं न की हमारे देश को भी कैंसर हो चुका है, राजनीति का कैंसर। तो अपने कैंसर से जीत जायेंगे तभी तो देश के कैंसर से लड़ पाएंगे।

देश भी राजनीतिक कैंसर से ग्रसित है

बेशक! शासन व्यवस्था चलने के लिए राजनीति जरूरी है। लेकिन हिंदुस्तान की राजनीति इस कदर संक्रमित हो चुकी है, कि ये कैंसर बन चुकी है। सवा सौ करोड़ की जनसंख्या वाले इस देश में अलग-अलग प्रकार का राजनीतिक कैंसर फ़ैल चुका है। जो आज हर पंचायत स्तर तक देखने को मिलता है। प्रत्येक वार्ड, गली मौहल्ले में राजनीति के वायरस छुटभैया नेता पनप चुके हैं। जिनकी वजह से देश की संपूर्ण राजनीति बिमारी ग्रस्त हो चुकी है। अगर देश को संवैधानिक ख़तरे से बचाना है, तो हमें इस राजनीतिक कैंसर को जड़ से ख़त्म करने के लिए बहुत बड़ी लड़ाई लड़नी होगी। आज देश की राजनीति इतनी गिर चुकी है। कोई भी राजनीति कर रहा है। कोई देश के नाम पर, कोई धर्म के नाम पर, कोई जात के नाम पर, कोई राज्य के नाम पर। सब राजनेता अपने-अपने हिसाब से इस देश को लूटने में लगे हुए हैं।

हमें क्या करना चाहिए

आप और हम इस बात को कतई नहीं नकार सकते कि आने वाले समय में राजनीति की वजह से ही देश बड़े संकट में पड़ सकता है। इसका ताजा उदाहरण आज ही आया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने, जांच और पूछताछ करने पहुंची CBI को ही गिरफ़्तार करवा दिया। और ये ठीक वैसा ही है…! जैसा साल 1975 में इंदिरा गांधी ने किया था। अर्थात बुराई के ख़िलाफ़ आवाज उठाने वालों को ही बंदी बना लिया जाता है। हालांकि हिंदुस्तान की राजनीति में कुछ लोग हैं ऐसे जो सिस्टम से लड़ रहे हैं। लेकिन कैंसर देने वालों के बनिस्बत ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है। ऐसे में देश चल तो रहा है, मगर पूर्ण स्वस्थ नहीं कह सकते। इसके लिए हम सबको, हर देशवासी को इस राजनीतिक कैंसर से लड़ाई लड़नी होगी। वो हम कैसे भी लड़ सकते हैं।

देश को संवैधानिक आपातकाल से बचाने के लिए हर नागरिक को इस कैंसर से डटकर जंग लड़नी होगी। वरना एक बार फिर वो दिन दूर नहीं रहेगा जब इस देश में बिना सोचे समझे आपातकाल लगाकर लोगों का दमन कर दिया जायेगा। इंसानियत को मार दिया जायेगा और महान भारत की महान न्याय प्रणाली को दफ़्न कर दिया जायेगा।

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