news of rajasthan
अपनी 33 सूत्री मांगों को लेकर राजस्थान के सरकारी चिकित्सक लगातार 6 दिनों से हड़ताल पर हैं।
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अपनी 33 सूत्री मांगों को लेकर राजस्थान के सरकारी चिकित्सक लगातार 6 दिनों से हड़ताल पर हैं।

राजस्थान में सरकारी अस्पतालों में कार्यरत सरकारी चिकित्सकों की हड़ताल का आज लगातार 6वां दिन है। अपनी 33 सूत्री मांगों को लेकर सरकारी चिकित्सकों के साथ राजस्थान सरकार की तीसरी वार्ता भी गुरूवार रात असफल रही। बिना चिकित्सकों के प्रदेशभर में करीब 25 लोगों की अब तक इलाज के अभाव में मौत होने की खबर है। ऐसे में राजस्थान सरकार अब इस हड़ताल पर सख्त रवैया अपना रही है और सरकारी चिकित्सकों को रेस्मा के तहत गिरफ्तारी के आदेश दिए गए हैं। साथ ही प्रदेश के सरकारी चिकित्सालयों में बनी स्थिति को नियंत्रण में और आमजन को उपलब्ध कराई जाने वाली चिकित्सा व्यवस्थाओं को नियमित बनाए रखने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था कर रही है। संकट से निपटने के लिए निजी अस्पतालों और सेना डॉक्टरों की सेवाएं ली जा रही है।

इंडियन आर्मी ने गुरूवार से जैसलमेर के जिला अस्पताल में बीमार लोगों के इलाज के लिए डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ और एम्बुलेंस की टीम प्रदान करके राजस्थान प्रशासन को समर्थन दिया है।इसी क्रम में सेना, रेलवे, बीएसएफ, सीजीएचएस एवं भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत सूचीबद्ध निजी चिकित्सा संस्थानों में चिकित्सा उपलब्ध कराने के साथ ही आयुष चिकित्सकों ने राजकीय चिकित्सा संस्थानों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की है। साथ ही कई जिलों में कार्यरत सेवारत चिकित्सकों ने भी अपनी नियमित सेवाओं को जारी रखा है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, शहरी स्वास्थ्य मिशन, एनसीडी तथा अर्जेन्ट टेम्परेरी बेसिस पर कार्यरत चिकित्सकों ने भी राजकीय चिकित्सा संस्थानों में जाकर कार्यभार संभाल लिया है और स्थिति को नियंत्रण में करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा, जिला कलेक्टरों को 56 हजार प्रतिमाह पर चिकित्सक अर्जेन्ट टेम्परेरी बेसिस पर लगाया जा रहा है।

नये स्थापित किये जाने वाले 7 मेडिकल कॉलेजों में नियुक्त किए जा रहे चिकित्सकों ने भी संबंधित जिला चिकित्सालयों में जाकर व्यवस्था को संभाल लिया है। इस काम में निजी चिकित्सा महाविद्यालयों ने भी संबंधित जिलों में अपने यहां कार्यरत सरकारी चिकित्सक भेजकर चिकित्सा सेवाओं को नियमित बनाने में सहयोग प्रदान किया है। राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के सभी जिलों में बड़े चिकित्सा संस्थानों के साथ ही नर्सिंग होम्स में मरीजों को नि:शुल्क ओपीडी की सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

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