tiger t24
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डेढ़ साल से पिंजरे में कैद बाघ टी-24 यानी उस्ताद को लेकर गुरुवार को केंद्रीय वन मंत्रालय ने भी सवाल खड़े कर दिए। मंत्रालय के अफसरों ने उनके यहां हुई बैठक के दौरान सीधे वनमंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर से पूछ लिया कि स्वच्छंद विचरण करने वाले इस बाघ को आखिर इतने समय से पिंजरे में क्यों कैद किया हुआ है? सवाल पर वनमंत्री ने भी तपाक से जवाब दिया- ‘मैं उस्ताद का फैन हूं और उसे रिलीज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उसके साथ और अन्याय नहीं होने दूंगा।’

अब आमली नहीं, झालाना आएंगे उस्ताद!

खींवसर ने मंत्रालय की बैठक की बात साझा करते हुए कहा कि मेरी मंशा उस्ताद को झालाना में बने करीब 50 हेक्टेयर के एनक्लोजर में ही सॉफ्ट रिलीज करने की है। क्योंकि ऐसा बड़ा केज नहीं हैं। आमली में बाघ छोड़ने की बात खारिज करते हुए खींवसर बोले- वहां इस बाघ को छोड़ने का कोई विचार नहीं है।

ब्लड सैंपल लेकर 3 जगह भेजे

गुरुवार को उदयपुर में टी-24 को ट्रेंकुलाइज कर ब्लड सैंपल ले लिए और जांच के लिए पॉली क्लीनिक सहित आईवीआरआई, बरेली और एक निजी लैब में भेजा है। खींवसर बोले-रिपोर्ट सामान्य रही तो अगले सप्ताह तक ही सॉफ्ट रिलीज कर देंगे।

फॉरेस्ट गार्ड सहित दो की हत्या का दोषी हैं T24

टाइगर रिजर्व ने उस्ताद को T-24 नाम दिया है। T-24 उर्फ उस्ताद ने 8 मई को रामपाल सैनी नाम के फॉरेस्ट गार्ड की हत्या कर दी। 2012 में इसी बाघ ने एक गार्ड की और हत्या की थी और साथ ही उसके क्षेत्र में आए दो लोकल लोगों को भी उसने मार डाला था।

इतनी मौतों के बाद उस्ताद को लेकर बड़ी बहस का मुद्दा बन चुका है। कई जीव विज्ञानी और संरक्षणवादी मानते हैं कि चारों मौतों का जिम्मेदार उस्ताद ही है तो कई मानते हैं कि उसने सिर्फ एक ही की हत्या की थी। उधर फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने गार्ड की मौत के बाद T-24 को उसके क्षेत्र से हटाकर 400 किलोमीटर दूर उदयपुर बायलॉजिकल पार्क भेज दिया है।

बाघ टी 24 को सज्जनगढ़ भेजने के बाद से विवादों का सिलसिला शुरू हो गया था। सबसे पहले इंडियन वेटेनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट ने साफ कर दिया था कि रणथंभौर का बाघ टी24 आदमखोर नहीं  है।  जांच के लिए आईवीआरआई बरेली भेजे गए टी24 के सेंपल्स में बाघ टी 24 की रिपोर्ट बिल्कुल नॉर्मल बताई गई। उसके बाद मामले को लेकर एनटीसीए की ओर से की गई सिफारिशों में  कहा गया कि बाघ की शिफटिंग में बहुत से कानून कायदों को नजरअंदाज किया गया है। साथ बाघ को फिर से जंगल भेजने की सिफारिश भी की गई।   मामले को लेकर पूर्व मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक एसी चौबे ने यह कहते हुए वन विभाग सवालिया निशान लगा दिया कि पिछले किसयी हमले में  टी24 को दोषी नहीं माना गया था।