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राजस्थान हाईकोर्ट प्रशासन ने न्यायप्रणाली में फुर्ती लाने के लिए सख़्त कदम उठाया है। बरसों से  कानूनी कार्यवाही में फंसे हुए लोगों को राहत पहुंचाने के लिए हाईकोर्ट प्रशासन ने अधीनस्थ न्यायालयों को निर्देश दिए है, कि 5 साल से पुराने सभी केस अगले वर्ष की सितम्बर (30 सितम्बर-2018) तक निपट जाने चाहिए। साथ ही वे केस जिन्हें अदालती कार्यवाही में 10 साल से अधिक समय बीत चुका है, ऐसे केसों का निपटान इसी वर्ष 31 दिसंबर तक किया जायेगा। सभी केस का फैंसला निर्धारित समय तक सम्पादित हो, इसके लिए जिला एवं सेशन न्यायलय के न्यायधीशों को मॉनिटरिंग का ज़िम्मा सौंपा गया है।

लाखों लोगों को शीघ्र न्याय मिलने की उम्मीद:

राजस्थान उच्च न्यायलय के इस निर्देश से प्रदेश के लाखों लोगों को त्वरित और समुचित न्याय मिलेगा। राजस्थान में अधीनस्थ न्यायालयों में 5 साल से पुराने कुल सवा तीन लाख केस है। इनमें से  5 साल से लेकर 10 साल के बीच के करीब 2.30 लाख केस है। 10 साल से अधिक समय बीत चुके करीब 82 हज़ार केस है। हाईकोर्ट के इस निर्णय से इन सभी केसों का निस्तारण होगा। इससे मुक़दमेबाज़ी में फंसे हुए लाखों लोगों को सरकार की ओर से राहत मिलेगी। राष्ट्रिय न्यायिक अभिकरण की ताज़ा रिपोर्ट से पता चलता है कि राजस्थान के कुल 1292 अधीनस्थ कोर्ट में कुल मिलाकर 13.90 लाख केस लंबित है। इनमे 10 साल से पुराने करीब 6% केस है व 5 से 10 वर्ष के मध्य के 16.55 फीसदी केस है। इनके अंतर्गत सिविल और आपराधिक दोनों तरह के केस है।

14 हज़ार से ज़्यादा विचाराधीन क़ैदी प्रदेश की जेलों में:

राजस्थान की जेलों में करीब 19 हज़ार क़ैदी है। इन लोगों में से 14 हज़ार से ज़्यादा ऐसे क़ैदी है, जिन पर अभी मामला विचाराधीन है। मतलब इन 14 हज़ार क़ैदी जिस आरोप में जेल में बंद है, उसके आरोप अभी तक इन पर तय नहीं हुए है। इनके केस अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है। देश की धीमी न्यायव्यवस्था से ऐसे अनेक लोगों को हानि उठानी पड़ती है।

ज़मानत अर्ज़ी पर हफ्तेभर के अंदर करनी होगी सुनवाई:

राजस्थान उच्च न्यायालय के इन अनुदेशों के मुताबिक़ अब न्यायालयों को ज़मानत अर्ज़ी पर निर्णय सप्ताहभर के अंदर देना होगा। जिस दिन विचाराधीन की ज़मानत के लिए अर्ज़ी कोर्ट को दी गयी, उस दिन से 7 दिन के अंदर ज़मानत अर्ज़ी पर फैंसला देना होगा।