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कहते हैं ना कि अगर प्रोब्लम का कोई निदान न मिले तो कुछ दिन उसे अपने हाल पर ही छोड़ देना चाहिए। ऐसा ही कुछ हमारे चिकित्सा मंत्री और उनके विभाग के साथ हो रहा है। राजस्थान में स्वाइन फ्लू यमराज बनकर पैर पसार चुका है। जनवरी महीने में 83 लोगों की मौत स्वाइन फ्लू के चलते हुई थी। अब फरवरी महीने की शुरुआत भी मौतों से ही हुई है। पिछले 3 दिनों में 9 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। अब यह आंकड़ा 92 हो गया है जो विभाग के लिए भी एक चिंता का सबब बनता जा रहा है। इस मामले में राजस्थान वैसे भी नं.1 बना हुआ है लेकिन चिकित्सा विभाग का ढर्रा ज्यों का त्यों बना हुआ है।

विभाग घर-घर स्क्रीनिंग का दावा भी कर रहा है। इसके बाद भी पिछले ​तीन दिनों स्वाइन फ्लू के 250 नए पॉजिटिव मरीज सामने आ गए हैं जिसका जवाब किसी के पास नहीं है। इससे पहले विभाग ने सघन जांच अभियान चलाने के लिए तीन दिन का समय मांगा था। चिकित्सा विभाग के तमाम खोखले प्रयासों के बाद भी रविवार को उदयपुर में दो और नागौर में एक मरीज की मौत के साथ 74 पॉजिटिव केस सामने आए। इनमें जयपुर के 31, बाड़मेर के 8, कोटा व उदयपुर के 7-7, सीकर के 4, बीकानेर के 2 एवं अजमेर, भीलवाड़ा, नागौर, करौली, हनुमानगढ़, जैसलमेर, बाड़मेर, बूंदी, चित्तौड़गढ़ व डूंगरपुर में एक-एक मरीज मिला। इस समेत प्रदेश में कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या 2373 पहुंच गई है।

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इतना होने के बाद भी चिकित्सा मंत्री और संबंधित विभाग कन्नी कटाते हुए दिख रहे हैं। बता दें कि देशभर में स्वाइन फ्लू से मरने वाले मरीजों एवं संक्रमित केसों में राजस्थान नंबर एक पर बना हुआ है।